Sunday, April 28, 2024

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दून के ‘विकास’ को मिली सवा करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति, अब विदेशी विश्वविद्यालय में करेंगे शोध

अंग्वाल न्यूज डेस्क
दून के ‘विकास’ को मिली सवा करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति, अब विदेशी विश्वविद्यालय में करेंगे शोध

देहरादून। उत्तराखंड के छात्रों ने कई स्तरों पर अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है। इसी के तहत देहरादून के विकास कुमार को विदेशी विश्वविद्यालय में शोध करने के लिए केन्द्र सरकार का विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) की ओर से सवा करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी। इस राशि की मदद से विकास कनाडा की यूनीवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया से पीएचडी करेंगे। यहां वे अपने धान के भूसे से बायोफ्यूल बनाने के शोध को आगे बढ़ाएंगे। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से उन्हें ई मेल के जरिए जानकारी दे दी गई है। 

गौरतलब है कि मूल रूप से दून के रहने वाले विकास ने द्रोणाज स्कूल से 12वीं पास करने के बाद कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज द्वाराहाट से बीटेक बायोकेमिकल की पढ़ाई पूरी की। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद उसका चयन आईआईटी गुवाहाटी में एनर्जी रिसर्च के लिए हो गया। आईआईटी गुवाहाटी में अध्ययन के दौरान उनके 30 से ज्यादा रिसर्च राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में छप चुका है। बता दें कि विकास ने आईआईटी में ही धान के भूसे से बायोफ्यूल बनाने के ऊपर काम शुरू किया और उसे कामयाबी मिलती गई। 

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यहां बता दें कि एमटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद विकास ने कई विदेशी विश्वविद्यालयों में पीएचडी करने के लिए आवेदन किया। कनाडा के यूनीवर्सिटी आॅफ कोलंबिया ने उनका आवेदन स्वीकार किया और साक्षात्कार के बाद उसका चयन हो गया। गौर करने वाली बात है कि कनाड़ा की इस विश्वविद्यालय और  एसईआरबी बीच करार के चलते उन्हें पीएचडी पूरी करने के लिए केंद्र सरकार से सवा करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली है। इस पैसे से न केवल वे कनाडा में रहकर शोध करेंगे बल्कि उनका आने-जाने का पूरा खर्च भी सरकार वहन करेगी। इसकी शर्त यह है कि पीएचडी पूरी करने के बाद उन्हें देश के लिए काम करना होगा। विकास का परिवार इससे बेहद खुश है।


क्या है एसईआरबी

दरअसल, विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, केंद्र सरकार की ऐसी संस्था है जो कि होनहार छात्रों को दुनिया के शीर्ष विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका देती है। सरकार ने इस बोर्ड के माध्यम से विदेशी विवि से करार किए हैं। इसके तहत जिन भारतीय छात्रों का चयन विदेशी विवि में हो जाता है, वे चाहें तो इस स्कॉलरशिप का लाभ ले सकते हैं। इससे कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड सहित तमाम देशों में पढ़ने का मौका मिलता है।

 

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