लखनऊ । मौसम की मार से खेती पर बढ़ते रिस्क के बीच किसानों के लिए एक अच्छी खबर आई है। यूपी सरकार खेती और कृषि आधारित उद्योगों के लिए जमीन को पट्टे पर देने के नियम बनाने की प्रक्रिया में है। नीति आयोग की सिफारिश पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में संशोधन की प्रक्रिया चल रही है। इस संहिता में संशोधन के बाद राज्य के किसान अपनी जमीन को पट्टे पर दे सकेंगे। फिलहाल खेती और कृषि आधारित उद्योगों के लिए ही जमीन को पट्टे पर देने का प्रस्ताव है।
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अभी राजस्व संहिता की धारा 94 के तहत खेती की जमीन या उसके किसी भाग को लीज पर देने पर रोक है। जबकि धारा 95 में निशक्त व्यक्तियों को एक बार में अधिकतम तीन साल के लिए जमीन को पट्टे पर देने की छूट मिली है। कानून तौर पर लीज पर जमीन देने पर पाबंदी होने के बावजूद जमीन बटाई या मालगुजारी पर जमीन देना जारी है। मालगुजारी एक तरह से लीज का ही एक रूप है, जिसमें किसान अपनी जमीन को एक साल के लिए एक निश्चित रकम के बदले में खेती के लिए दूसरे को देते हैं। लेकिन इसमें पैसे कम मिलते हैं। अगर कानूनी तौर पर जमीन लीज पर देने का अधिकार किसानों को मिल जाएगा तो लीज की रकम भी बढ़ जाएगी और किसानों को खेती में जोखिम भी नहीं उठाना पड़ेगा।
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नीति आयोग ने खेती की जमीन को पट्टे पर देने के संबंध में मॉडल एक्ट बनाकर राज्यों को भेजा है। इसी मॉडल एक्ट को ध्यान में रखते हुए यूपी सरकार यूपी राजस्व संहिता में संशोधन की तैयारी में जुटी है। इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसके मुताबिक जमीन को लीज पर देने के लिए भू स्वामी और पट्टेदार के बीच एक अनुबंध होगा। अनुबंध में शर्त होगी कि जमीन भू स्वामी के नाम ही रहेगी। भू स्वामी के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव में पट्टे की न्यूनतम राशि भी तय करने पर विचार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि फिलहाल पट्टे की राशि सर्किल रेट के आधार पर जमीन के मूल्य का ढाई से पांच प्रतिशत तक प्रस्तावित है।