देहरादून। आखिरकार 16 सितंबर को चतुर्दशी का श्राद्ध समाप्त हो गया । इस तिथि पर उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु चतुर्दशी की तिथि को हुई हो । पंचांग के अनुसार चतुर्दशी की तिथि शाम 7 बजकर 58 मिनट तक है, जिसके बाद अमावस्या शुरू हो जाएगी , लेकिन सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध गुरुवार यानी 17 सितंबर को किया जाएगा । पंचांग के अनुसार इस दिन सिद्ध योग बना हुआ है । 16 सितंबर को अभिजीत मुहूर्त नहीं है , ऐसे में राहुकाल का विशेष ध्यान रखें । इस दिन राहु काल का समय दोपहर12 बजकर 15 मिनट से 13 48 मिनट तक है ।
अमावस्या तिथि शाम 19 बजकर 58 मिनट 17 सेकेंड से आरंभ हो गई है । अमावस्या तिथि समाप्त का समापन 17 सितंबर 2020 को शाम 4 बजकर 31 मिनट 32 सेकेंड तक रहेंगा । सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर को है। यह श्राद्ध का अंतिम दिन होता है। इसलिए यह पितरों की विदाई का दिन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस दिन उन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है। इसके अलावा यदि किसी का श्राद्ध भूल गए हैं तो इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है।
जानकारों का कहना है कि जब श्राद्ध पक्ष प्रारंभ होता है तो मृत्यु लोक से पितृ धरती लोक में अपनी संतानों से मिलने आते हैं और आश्विन माह की अमावस्या के दिन वे वापस अपने लोक में लौट जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर पितरों को विदा करते हैं उनके घर में सुख-शांति का आगमन होता है।
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बता दें कि पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने का विधान बताया गया है । श्राद्ध करने के दौरान सर्वप्रथम हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् और जल लेकर संकल्प लें । संकल्प लेने के बाद "ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये." मंत्र का उच्चारण करें । पितरों का आह्वान करते हुए पूजा आरंभ करें। पूजा का समाप्त होने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं । इसके बाद दान आदि का कार्य करें। कौवे, गाय और कुत्ते के लिए भोजन निकाल कर रखें ।
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