नई दिल्ली । देश में कोरोनाकाल के बीच आखिरकार त्योहारों का मौसम भी आ गया है । कल यानी सोमवार 3 अगस्त को भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षाबंधन देश में मनाया जाएगा । हालांकि इस बार रक्षाबंधन का दिन कुछ खास महत्व वाला है , क्योंकि सोमवार को इस त्योहार के अलावा सावन पूर्णिमा, अन्न वाधन, वेद माता गायत्री जयंती, यजुर्वेद उपाकर्म, नारली पूर्णिमा, हयग्रीव जयंती, संस्कृत दिवस और सावन का पांचवां व अंतिम सोमवार भी है । ऐसे में ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए शुभ घड़ी को ही चुनें । भले ही देश में कोरोना काल है , लेकिन अगर आप अपने भाई को राखी बांधने जा रही हैं तो इसके लिए बताए गए समय पर ही राखी बांधें , यह आपके भाई के लिए लाभदायक सिद्ध होगी । वहीं इस दौरान कुछ तरह की राखी बांधने से भी बचना चाहिए ।
विदित हो कि रक्षाबंधन के इस पर्व को भाई की लंबी आयु की कामना से जोड़कर मनाया जाता है । ज्योतिषाचार्य पंडित विवेक खंकरियाल के अनुसार - इस दिन गुरु अपनी राशि धनु में और शनि मकर में वक्री की चाल में रहेगा। वहीं चंद्रमा हर ढाई दिन में अपनी राशि बदलता है। रक्षाबंधन पर चंद्रमा शनि के साथ मकर राशि में रहेगा।
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इस पावन पर्व को अगर शुभ मुहूर्त में मनाया जाए तो यह भाई-बहन दोनों के लिए मंगलकारी होता है । असल में इस बार रक्षाबंधन पर्व के दिन सुबह 7 बजकर 19 मिनट से चंद्रमा का नक्षत्र श्रवण हो जाएगा । यही कारण है कि इसे श्रावणी भी कहा गया है । इसके बाद सुबह 7.1 9 से लेकर अगले दिन 5.44 मिनट तक सर्वात्र सिद्धि का योग भी है ।
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि अगर कुछ लोग किसी कारणवश सुबह इस पर्व को नहीं मना पा रहे हैं तो उन्हें शाम 3 बजकर 50 मिनट से शाम 5 बजकर 15 मिनट तक की समायवधि में इस पर्व को मनाना चाहिए, जो अच्छा समय है । इस समय में रक्षाबंधन भाई - बहन दोनों के लिए फलदायी रहेगा ।
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उनका कहना है कि कुछ ऐसे पहर भी हैं , जो समय इस पर्व के लिए अच्छे नहीं माने जाएंगे । सुबह 5 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 18 मिनट तक भद्रा रहेगी, जिसमें राखी बांधना अच्छा नहीं माना जाता । इतना ही नहीं सुबह 7 बजकर 25 मिनट से सुबह 9 बजकर 05 मिनट के बीच राहु काल रहेगा । इस दौरान भी राखी नहीं बांधनी चाहिए ।
वहीं बता दें कि इस पर्व पर भाई की कलाई पर काले रंग की राखी भूलकर भी न बांधें। काले रंग की राखी को अशुभ माना गया है । शास्त्रों के अनुसार , काले रंग को शनि से जोड़ा गया है । शनि देव को कार्य में विलंब कराने वाला ग्रह माना गया है । वहीं जानकारों का कहना है कि प्लास्टिक की राखियों को भी इस दौरान भाई की कलाई पर नहीं बांधना चाहिए , इससे दुर्भाग्य शुरू होता है । इसी क्रम में भगवान वाली राखियां भी नहीं बांधनी चाहिए । इन्हें बांधने से बंधवाने वाला पाप का भागीदार माना जाता है । वहीं अशुभ चिन्हों वाली राखी बांधने से भी बचना चाहिए ।