नई दिल्ली। आज नौजवानों को शोरगुल और तेज आवाज वाली म्यूजिक सुनने में काफी मजा आता है। यहां तक कि आपने बसों या मेट्रो में भी लोगों को अपने कानों में इयरफोन पर काफी तेज आवाज में गाने सुनते हुए देखा होगा। क्या आपको पता है कि तेज आवाज में गाने सुनने या लगातार उस इलाके में रहने से आप कई तरह की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। आइए हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
गौरतलब है कि तेज आवाज, कानों के लिए कितनी खतरनाक होती है ये बात हमें बचपन से सिखाई जाती है। हमें स्कूल से ही सिखाया जाता है कि शोर कम करें, धीरे बोलें क्योंकि कानों तक पहुंचने वाली तेज आवाज कान के पर्दे तक फाड़ सकती है। कुछ स्टडीज की मानें तो ट्रैफिक में सुनाई देने वाले शोर से हाई ब्लड प्रशेर, दिल की बीमारी, हार्ट फेल, डाईबिटीज, डिप्रेशन, शॉर्ट टर्म मेमोरी, नींद की कमी होना जैसी कई बीमारियां तक हो सकती हैं।
याददाश्त होती है कमजोर
ट्रैफिक का शोक बड़ों से ज्यादा बच्चों की सीखने की क्षमता पर असर डालता है। स्टडी की मानें तो ज्यादा वक्त शोर के आसपास रहने से बच्चों की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और उनकी सीखने की क्षमता भी कम हो जाती है। ये समस्या लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में जल्दी होती है।
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नींद भी होती है प्रभावित
शोरगुल वाला माहौल काम को तो प्रभावित करता ही है। साथ ही साथ ये आपकी नींद को भी प्रभावित करता है। 50 डेसीबल से अधिक तीव्र ध्वनि नींद को प्रभावित करते हैं। जिससे नींद पूरी नहीं होती और आपकी कार्यक्षमता इससे प्रभावित होती है।
ब्लड प्रेशर बढ़ाता है
तेज ध्वनि दिल की धड़कनों, रक्त के प्रवाह को बढ़ा देता है। इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है यही कारण है तेज ध्वनि के संपर्क में लगातार रहने से हार्ट-अटैक का खतरा बढ़ जाता है।