नई दिल्ली । सियासी पार्टियों के बाद कुछ राज्य सरकारों द्वारा शुरू किए गए 'रेवड़ी कल्चर' को लेकर शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है । एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले को3 जजों की बेंच के पास भेजा दिया है । इससे पहले रेवड़ी कल्चर से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग (EC) और केंद्र सरकार दोनों ने अपना पक्ष रखा । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना राज्य की आर्थिक स्थिति का आकलन किए हुए मुफ्त घोषणा किए जाने का मसला उठाया है । कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि ये रेवड़ी कल्चर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करता है ।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (Chief Justice Of India) एन. वी. रमन्ना (NV Ramana) ने इस मुद्दे से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव आयोग और सरकार ने अपना पक्ष रखा है । दलीलों में कहा गया कि लोकतंत्र में असल ताकत मतदाता के पास है । मुफ्त सुविधाओं की घोषणा ऐसी स्थिति पैदा कर सकती है कि राज्य की आर्थिक सेहत बिगड़ जाए । कोर्ट के सामने सवाल ये है कि वो इस तरह के मामलों में किस हद तक दखल दे सकता है । कोर्ट ने विचार के लिए मामला तीन जजों की बेंच को भेजा है ।
सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले के बाद अब इस मामले को तीन जजों की बेंच सुनेगी । कोर्ट ने अपने आदेश में कहाहै कि मामले की जटिलता को देखते हुए ये बेहतर होगा कि तीन जजों की बेंच साल 2013 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करे । 2013 के उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी घोषणाओं को करप्ट प्रैक्टिस नहीं माना था ।