नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के आर्थिक आधार पर आरक्षण ( EWS ) संबंधी फैसले के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है । सोमवार सुबह पांच सदस्यीय पीठ में से 3 जजों ने EWS आरक्षण को सही ठहराया है । पांच सदस्यीय पीठ में से जस्टिस यूयू ललित समेत जस्टिस रविंद्र भट्ट ऐसे जज रहे जिन्होंने संविधान के 103वां संशोधन से अपनी असहमति जताई । हालांकि पांच में से 3 जजों के सहमत होने के चलते इस संविधान संसोधन को हरी झंड़ी दिखा दी गई है । इन तीन जजों ने गरीब सर्वोणों को 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी फैसले को सही ठहराया है। इस पीठ में जस्टिस यूयू ललित के साथ जस्टिस बेला त्रिवेदी , जस्टिट महेश्वरी और जस्टिस पारदीवाला और रविंद्र भट्ट में शामिल थे।
विदित हो कि आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सुनवाई की और 5 जजों की बेंच अपना फैसला सुना दिया है । ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर संविधान पीठ के 5 में से 4 जजों ने पक्ष में फैसला सुनाया है । असल में ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण (EWS Reservation) दिए जाने के खिलाफ 30 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थी , जिनपर दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने 27 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया था ।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि क्या ईडब्ल्यूएस आरक्षण ने संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन किया है । शिक्षाविद मोहन गोपाल ने इस मामले में 13 सितंबर को पीठ के समक्ष दलीलें रखी थीं और ईडब्ल्यूएस कोटा संशोधन का विरोध करते हुए इसे ‘‘पिछले दरवाजे से’’ आरक्षण की अवधारणा को नष्ट करने का प्रयास बताया था ।
बहरहाल , केंद्र सरकार ने जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण (EWS Reservation) देने का फैसला किया था । केंद्र के इस फैसले को तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके (DMK) सहित कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी थी ।