नई दिल्ली। चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आज एक सर्वदलीय बैठक करने जा रही है । इस बैठक में चीन से निपटने के मुद्दों पर मंथन होगा । इस बैठक में कुल 17 राजनीतिक दलों के नेता हिस्सा लेंगे । वहीं इस बैठक से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मांग की है कि केंद्र सरकार को एक नीति बनानी चाहिए, जिसमें चीनी कंपनियों के द्वारा भारत में किए जा रहे निवेश, भारत के प्रोजेक्ट्स में निवेश को लेकर कुछ नियम और नीति तय की जाए ।
बता दें कि तिब्बत में सीमा विवाद के बीच चीनी जवानों ने धोखे से भारतीय जवानों पर हमला कर दिया था । इस हिंसा में जहां 20 भारतीय जवान शहीद हुए , वहीं भारतीय जवानों ने भी पलटवार करते हुए चीन के करीब 45 जवानों को मार गिराया । इस खबर के बाद से देश में चीन विरोधी लहर दौड़ रही है । जहां कई जगहों पर चीन के पूर्णरूप से बहिष्कार की मांग उठ रही है , वहीं व्यापारी वर्ग समेत कई संगठनों ने इस बार चीनी सामान को जलाकर अपने विरोध दर्ज करवाया है ।
इसी क्रम में अब सरकार भी चीन से निपटने के लिए रणनीति बनाती नजर आ रही है । इसी क्रम में शुक्रवार को मोदी सरकार एक सर्वदलीय बैठक करने जा रही है , जिसमें 17 दलों के नेता शिरकत करेंगे , जिनमें सोनिया गांधी, मायावती, शरद पवार, नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव समेत कई अन्य दिग्गज नेता वर्चुअल तौर पर बैठक में हिस्सा लेंगे ।
वहीं इस में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे इस बैठक में चीनी निवेश के मसले पर एक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग रख सकते हैं । खबर है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में इस मसले को उठाएंगे । इसमें चीनी निवेश पर राष्ट्रीय नीति के साथ प्रोजेक्ट्स को लेकर भी नीति की मांग कर सकते हैं ।
हालांकि इससे पहले भारतीय रेलवे ने सख्त कदम उठाते हुए चीनी कंपनी को दिए गए एक कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया है । यह कंपनी पिछले चार साल से सिग्नल लगाने का काम कर रही थी , लेकिन उनकी सुस्त रफ्तार को देखते हुए रेलवे ने उनका ठेका रद्द कर दिया है । इसी क्रम में सरकार ने बीएसएनल-एमटीएनएल समेत अन्य टेलिकॉम कंपनियों से कहा है कि वह चीनी सामान पर अपनी निर्भरता को कम करें ।