नई दिल्ली । गलवान घाटी में चीनी सैनिकों द्वारा धोखे से भारतीय जवानों पर किए हमले को लेकर अब भारत सरकार सख्त कदम उठा रही है । भारत सरकार के सख्त रुख के बावजूद चीन अब भारत से मामला सुलझाने और भारत को धैर्य बनाए रखने की बात कर रहा है । बुधवार शाम को एक बार फिर से चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन अब सीमा पर और कोई हिंसक झड़प के पक्ष में नहीं है । हालांकि चीन के इस रुख के पीछे अमेरिका द्वारा अपने 11 न्यूक्लियर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के विमानवाहक पोत में से तीन को एक साथ प्रशांत महासागर में चीनी सीमा के बेहद नजदीक तैनात करना बताया जा रहा है । विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के रुख में आए इस बदलाव का कारण भारत की कूटनीति पकड़ और चीन पर पड़ रहा अंतरराष्ट्रीय दबाव है ।
विदित हो कि दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका ने चीन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं । अमेरिका ने यहां तक कह दिया है कि अगर इस वायरस के फैसले में चीन की कोई साजिश सामने आई तो चीन को इसके परिणाम भुगतने होंगे । इस सबके बाद अब भारत के साथ चीन के इस सीमा विवाद में अमेरिका भारत के पक्ष में खड़ा हो गया है । अमेरिका ने सीमा विवाद में कई बार खुलकर भारत का पक्ष लिया है और अब खबर है कि अमेरिका ने अपने तीन अमेरिकी विमानवाहक पोत प्रशांत महासागर में चीन की सीमा के बेहद नजदीक तैनात कर दिया है ।
अमेरिकी सरकार के इस फैसले को ट्रंप के भारत के पक्ष में खड़े होने और चीन के लिए कड़ी चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है । जानकारों का कहना है कि इनकी तैनाती भारत की सुरक्षा की दृष्टि से भी की गई हो सकती है । बता दें कि दक्षिण चीनी समुद्र में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए अमेरिका ने यह तैनाती की है ।
असल में ये तीनों एयरक्राफ्ट अमेरिका के मशहूर न्यूक्लियर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा हैं। इनका नाम यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट, यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हैं । ये तीनों ही न्यूक्लियर मिसाइल से लैस हैं और चीन इनकी गश्त से काफी दबाव में नजर आ रहा है ।