न्यूज डेस्क । चीन और ताइवान के बीच जारी गतिरोध अब रूस - यूक्रेन की तरह युद्ध का रूप लेता नजर आ रहा है । अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंनी पेलोसी की ताइवान यात्रा का विरोध करने वाले चीन ने जहां अपने हवाई अड्डों पर अपने लड़ाकू विमानों को भेजते हुए युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है । नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का विरोध दर्ज कराते हुए चीन ने ताइवान की सीमा को घेरना शुरू कर दिया है । चीन ने ताइवान सीमा के पास अपना युद्धाभ्यास शुरू किया और इसके साथ ही ताइवान की सीमा के पास गस्त करते चीनी फाइटर जेट दिखे । ताइवान सीमा के पास चीन ने जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट से गश्त किया । खबर है कि चीन ने 21 लड़ाकू विमानों से ताइवान की घेराबंदी शुरू कर दी है । इससे इतर , नैंनी पेलोसी ने चीन के इस रूख पर कड़ा जवाब देते हुए कहा कि हम हर उकसावे का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं और अपनी क्षेत्रिय अखंडता की रक्षा करन में सक्षम है ।
क्षेत्रीय अखंडता की मजबूती से रक्षा करेंगें , अमेरिका दखल न दे - चीन
विदित हो कि अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी के दौरे के बाद चीन का एक्शन शुरू हो गया है । चीन ने ताइवान के करीब युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है । इसके साथ ही चीन ने कहा कि क्षेत्रीय अखंडता की मजबूती से रक्षा करेंगें । इस पूरे मामले में अमेरिका दखल न दे , नहीं तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे । चीन ने अपने एक बयान में कहा कि अमेरिका आग से न खेले । चीन ने रात करीब 3 बजे अमेरिकी राजदूत को बुलाकार पेलोसी के दौरे का विरोध किया । चीन की सेना ने चेतावनी दी है कि हम हर उकसावे का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं और अपनी क्षेत्रिय अखंडता की रक्षा करन में सक्षम है । दुर्भावनापूर्ण ताइवान की यात्रा करने वालों के लिए ये हमारी चेतावनी है । दरअसल चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है इसलिए ताइवान के किसी अन्य देश से नजदीकी का विरोध भी करता है ।
ताइवान - अमेरिका की दोस्ती पर गर्व है
इस बीच अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने ताइवान की संसद को संबोधित किया । पेलोसी ने ताइवान की संसद को बताया, "हम दुनिया के सबसे स्वतंत्र समाजों में से एक होने के लिए ताइवान की सराहना करते हैं । हम यहां आपकी बात सुनने आए हैं । कोरोना से लड़ाई में ताइवान ने मिसाल कायम किया है । उन्होंने कहा कि हमें ताइवान- अमेरिका की दोस्ती पर गर्व है। इस दौरान उन्होंने चीन को भी आड़े हाथ लिया । वह बोलीं - जलवायु संकट से निपटने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा. मेरी यात्रा मानवाधिकार को लेकर है, अन्यायपूर्ण व्यापार तरीकों और सुरक्षा के मुद्दे को लेकर है। पेलोसी ने बिना नाम लिए चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि हम हंगामें से नहीं रुकने वाले हैं । चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है. जिनपिंग कई बार कह चुके हैं कि आज नहीं तो कल ताइवान चीन में शामिल होगा । उन्होंने कहा कि हमें एक साथ आगे बढ़ने का रास्ता निकालना होगा ।
जानें क्या है चीन - ताइवान के बीच विवाद?
विदित हो कि दोनों देशों के बीच विवाद करीब 70 साल से भी पुराना है । साल 1949 से ही कम्यूनिस्ट पार्टी चीन और ताइवान दोनों को एक देश मानता है । जहां चीन अब भी ताइवान को अपना हिस्सा मानता है तो वहीं ताइवान का कहना है कि वह एक आजाद देश है । इन देशों के बीच विवाद दूसरे विश्व युद्ध के बाद से शुरु हुआ । साल 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया , जिसके बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आकर बस गए । यही वह साल था जब चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा ।