नई दिल्ली । योग गुरू बाबा रामदेव की पतंजलि द्वारा कोरोना के इलाज के लिए सस्ती दवा बनाने का ऐलान क्या हुआ , कई राज्य सरकारों ने इस मुद्दे पर पतंजलि की इस दवा की बिक्री पर रोक लगा दी है । जहां उत्तराखंड ने पतंजलि पर खासी-बुखार के साथ इम्यूनिटी के लिए दवा बनाने के लिए लाइसेंस लेने का आवेदन करके कोरोना की दवा बनाने का आरोप लगा दिए, वहीं राजस्थान सरकार ने भी अपने यहां इस दवा की बिक्री पर रोक लगा दी । इस क्रम में नया नाम जुड़ा है महाराष्ट्र का , जहां की सरकार ने इस दवा के क्लीनिकल ट्रायल को लेकर सवाल उठाते हुए राज्य में इसकी ब्रिकी पर प्रतिबंध लगा दिया है । इससे इतर , सोशल मीडिया पर लोगों ने पतंजलि के समर्थन में आते हुए इस तरह राज्य सरकारों के प्रतिबंध को दवा माफियाओं के दवाब में आकर लिया गया फैसला करार दिया है । इस सबके बावजूद पतंजलि का दावा है कि उसने आयुष मंत्रालय को मांगी गई सारी जानकारी भेज दी है ।
बता दें कि पतंजलि ने कोरोना के लिए दुनिया की पहली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल बनाने का दावा किया है । हालांकि इस दौरान उन्होंने इसकी विविधत जांच और ट्रायल के बाद लांच करने के बात कही , लेकिन उनके इस दावे के साथ ही उनपर आफतें आनें लगीं । जहां केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस दवा के प्रचार पर रोक लगा दी , वहीं उत्तराखंड सरकार ने कहा कि पतंजलि तो कोरोना की दवा बनाने के बारे में सरकार को बताया ही नहीं, उन्होंने तो सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ खासी के लिए दवा बनाने के लिए लाइसेंस की मांग की थी ।
बहरहाल, मौजूदा हालात में अब महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल के बारे में अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, ऐसे में महाराष्ट्र में इस दवा की बिक्री पर पाबंदी रहेगी । महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को लिखा, 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर यह पता लगाएगा कि क्या पतंजलि के 'कोरोनिल' का क्लीनिकल ट्रायल किया गया था । हम बाबा रामदेव को चेतावनी देते हैं कि हमारी सरकार महाराष्ट्र में नकली दवाओं की बिक्री की अनुमति नहीं देगी'वहीं आयुष मंत्रालय की आपत्ति के बाद राजस्थान पहला राज्य बना था, जिसने बाबा रामदेव की दवा कोरोनिल की बिक्री पर रोक लगा दी है । राजस्थान सरकार ने अपने आदेश में कहा कि केन्द्रीय आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के बिना कोविड-19 महामारी की दवा के रूप में किसी भी आयुर्वेदिक औषधी का विक्रय नहीं किया जा सकता ।
उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग ने भी पतंजलि की ओर से किए गए दावों को गलत बताया है , साथ ही पंतजलि को नोटिस भी जारी कर दिया ।
वहीं सोशल मीडिया में लोग पतंजलि का जमकर समर्थन कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि क्या बड़ी बड़ी फार्मा कंपनियों के दबाव में सरकारें यह फैसला ले रही हैं। जब लोगों को 500 रुपये में दवा मिल रही है और गरीबों को मुफ्त में ये आयुर्वेदिक दवा मिल रही है ,तो सरकार क्यों अड़ंगा अड़ा रही है। आयूष मंत्रालय से लेकर कई राज्य सरकारों ने कई अन्य कंपनियों के उत्पाद को लेकर तो कोई आपत्ति नहीं जताई तो आखिर पतंजलि के लिए एकाएक इतने रूल कहां से आ गए । लोगों का कहना है कि बड़ी बड़ी कंपनियां जहां 3500 हजार की दवा दे रहे हैं ,वहीं रामदेव महज 500 रुपये में दवा दे रहे हैं। सब जानते हैं कि फार्मा माफिया का कितना दबाव होता है ।