नई दिल्ली । देश में जारी कोरोना काल के बीच जहां पिछले कुछ समय से संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है , वहीं मरने वालों का आंकड़ा भी एकाएक बहुत तेजी से बढ़ा है । अब तक 15 लाख से ज्यादा लोग देश में संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 35 हजार से ज्यादा लोगों की इस महामारी में मौत हो गई है । देश में कोरोना संक्रमित इलाकों में जहां एक समय दिल्ली का नंबर तेजी से ऊपर चढ़ रहा था , वहीं अब दिल्ली के लोगों के लिए एक अच्छी खबर ये है कि एक्टिव केस के मामले में दिल्ली अब टॉप -10 राज्यों से बाहर हो गई है । हाल में दिल्ली में कम हुए मामलों के चलते अब दिल्ली 11वें स्थान पर आ गई है ।
राष्ट्रीय राजधानी जहां एक समय बहुत तेजी से केस बढ़ने लगे थे , वहां अब केवल 8 फीसदी ही एक्टिव मामले शेष रह गए हैं। जबकि 89 फीसदी मरीज़ ठीक हो चुके हैं। दिल्ली में अब तक संक्रमित लोगों में से मात्र 2.93% मरीजों की मौत हुई है। वहीं केजरीवाल सरकार अब COVID-19 अस्पतालों में हुई मौतों के कारणों का विस्तृत आकलन करवाएगी । इसके लिए दिल्ली सरकार ने बाकायदा चार समितियों के गठन का आदेश दिया है ।
बता दें कि एक समय दिल्ली में 100 के करीब कंटेनमेंट जोन बन गए थे , जिसके चलते संक्रमितों का आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ने लगा था । दिल्ली की भौगोलिक स्थिति और यहां के जनसंख्या धनत्व को देखते हुए जानकारों ने यहां कोरोना संकट के विकराल रूप धारण करने की आशंका जताई थी , लेकिन पिछले दिनों कुछ झटके देने के बाद अब दिल्ली में संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आ रही है ।
ताजा जानकारी के मुताबिक कोरोना के एक्टिव मामलों में दिल्ली देश के TOP-10 राज्यों से बाहर हो गयी है. अब दिल्ली 11वें पायदान पर पहुंच गयी है । दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के लिए अब तक 10 लाख से अधिक नमूनों की जांच की जा चुकी है । आंकड़ों के अनुसार इनमें से लगभग आधे नमूनों की जांच पिछले 30 दिनों में की गई ।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी बुलेटिन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में अब तक 10,13,694 परीक्षण किए गए हैं यानी औसतन प्रति 10 लाख आबादी पर 53,352 नमूनों की जांच की गई है । पिछले महीने हर रोज कोरोना वायरस के 2,000-3000 नए मामले सामने आ रहे थे जिसे देखते हुए दिल्ली में जांच क्षमता बढ़ा दी गई । आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में 3.82 लाख रैपिड एंटीजन टेस्ट हुए. रोजाना किए जाने वाले रैपिड एंटीजन जांचों की संख्या आरटी-पीसीआर जांचों के दोगुने से अधिक है ।