नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की मौजूदा स्थिति को लेकर कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है , जिसमें उसने मौजूदा समय में वर्क फ्रॉम होम के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि इससे कोई लाभ नहीं हो रहा है । सरकार केंद्रीय कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम नहीं करवा सकती । केंद्र ने अपने इस हलफनामे में कहा कि कोरोना काल में सरकारी कामकाज काफी प्रभावित हुआ है , यह काम वर्क फ्रॉम होम से नहीं हो सकता । इसके साथ ही एनसीआर में शामिल राज्यों ने भी अपने हलफनामें कोर्ट में दाखिल किए हैं । इस मुद्दे को लेकर कोर्ट में आज फिर से सुनवाई होनी है । इस दौरान कोर्ट ने कहा कि आप लोग मुद्दे को भटका रहे हैं । सुप्रीम कोर्ट में अभी इस मुद्दे पर सुनवाई जारी है । सामने आया है कि कोर्ट का रुख इस मुद्दे पर काफी गरम है ।
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से एक अहम बैठक करके इस मुद्दे पर ठोस फैसला लेने को कहा था । इसी बीच दिल्ली सरकार ने एनसीआर में शामिल राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर बैठक की थी । इस दौरान दिल्ली के पर्यटन मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि हम दिल्ली के साथ ही एनसीआर के शहरों में लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम होम की मांग करते हैं । इससे लोगों को राहत मिल सकेगी ।
इस सबके बाद अब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें उन्होंने इस स्थिति को लेकर अपना पक्ष रखा है । 392 पेजों को अपने हलफनामें में केंद्र सरकार ने कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम नहीं करवाया जा सकता । वहीं इस दौरान केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों से अपील की है कि वह कार पूल करके ऑफिस आएं , इससे सड़कों पर कारों की संख्या में कमी आएगी , जिससे प्रदूषण के स्तर में थोड़ी ही सही लेकिन कमी तो आएगी । केंद्र ने कहा कि कोविड के चलते ही पहले ही कामकाज प्रभावित हुआ है, इसलिए वर्क फ्रॉम होम मुमकीन नहीं है ।
बता दें कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के लिए पंजाब में जलाई जाने वाली पराली को एक बड़ा कारण बताती रही है । उधर, पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इन आरोपों पर पलटवार किया है । पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य क्रुनेश गर्ग ने कहा, दिल्ली में प्रदूषण में पराली का ज्यादा योगदान नहीं है । दिल्ली सरकार को स्थानीय प्रदूषण के सोर्स पर नियंत्रण करना चाहिए। गर्ग ने सवाल उठाया कि पराली सिर्फ अक्टूबर और नवंबर में जलाई जाती है । वहीं, दिल्ली का AQI स्तर दिसंबर और जनवरी में भी उच्च पर रहता है, इसकी क्या वजह है? हालांकि, उन्होंने कहा, प्रदूषण पर इमरजेंसी मीटिंग का एजेंडा पराली जलाने पर रोक लगाना है ।
इस दौरान पंजाब ने भी अपना हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है , जिसमें उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाए जाने के मामलों में काफी कमी आई है । केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह किसानों को 100 रुपये प्रति कुंतल के हिसाब से पराली का पैसा दे ।
इस बीच दिल्ली एनसीआर में 21 नवंबर तक स्कूल कॉलेज समेत कंस्ट्रक्शन का काम बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं । इतना ही नहीं दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं होने पर कार चालकों का 10 हजार का चालान काटा जाएगा । उनके कर्मचारी पेट्रोल पंप पर तैनात रहेंगे।