नई दिल्ली । दिल्ली में 26 जनवरी को कथित किसानों की हिंसक रैली को लेकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन सिंद्धू ने बुधवार शाम करीब 7.50 बजे एक प्रेस वार्ता आयोजित की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने सीसीटीवी फुटेज की मदद से कई उपद्रवियों की पहचान कर ली । जांच जारी है , लेकिन उपद्रवी यह बात जान लें कि जिसकी भी उपद्रवी की तरह पहचान होगी , उसे किसी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा । किसान नेताओं की संलिप्तता पाए जाने पर उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी । पुलिस कमिश्नर ने कहा कि किसान नेताओं ने भीड़ को उकसाया और बेरिकेड तोड़ने को कहा था , इसके कई सबूत हमारे पास हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसी ने हमें सारी जानकारी दी, लेकिन हमने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए संयम बरता ।
पुलिस कमिश्नर ने कहा - संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के तीन बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसानों के साथ बैठी है । 2 जनवरी को दिल्ली पुलिस को पता चला कि किसान रिपब्लिक रैली एक ट्रैक्टर मार्च निकालने जा रही है । यह भी संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया कि उनके समर्थक 26 जनवरी को दिल्ली में आकर ट्रैक्टर रैली में शिरकत करेंगे । जैसी ही हमें इसकी जानकारी मिली हम किसान नेताओं से मिले और 5 राउंड की बातचीत की । इस दौरान किसानों से 26 जनवरी को रैली न करने को कहा गया था । उन्हें बाद में रैली निकालने को कहा गया था लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया । इसके बाद उनके लगातार दबाव बनाने पर हमने उन्हें कुंडली मानेसर पलवर एक्सप्रेस वे पर मार्च निकालने को कहा , लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया ।
पांच राउंड की बैठक के बाद हमने किसान नेताओं के साथ 3 रूट पर रैली निकालने की इजाजत दी । इसमें सिंधु बॉर्डर पर बैठे किसानों को एक रूट दिया गया , जबकि टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसानों के लिए एक रूट दिया गया । इस दौरान उन्हें कुछ दिशानिर्देश दिए गए थे, जिसमें रैली सुबह 12 बजे शुरू होकर 5 बजे खत्म हो जाए । दूसरा किसान नेता अग्रिम पंक्ति में रहे । हर जत्थे के साथ नेता साथ रहे । 5000 से ज्यादा ट्रैक्टर रैली में न हो न ही कोई भी हथियार उनके साथ हो । इसके साथ ही कई समझौतों पर किसान नेताओं और दिल्ली पुलिस के बीच हस्ताक्षर हुए ।
लेकिन 25 जनवरी की शाम ही यह नजर आने लगा कि रैली के नाम पर दिल्ली में हंगामा करने की है , इसी के तहत उन्होंने अपने उग्र लोगों को आगे कर दिया । गणतंत्र दिवस की सुबह की इन दंगाइयों ने बैरिकेड तोड़ने शुरू कर दिए । इनके नेता सतनाम सिंह भड़काऊ भाषण दिया , जिसके बाद उनके समर्थक बैरिकेट तोड़ने पर आमादा हो गए ।
इसी क्रम में दर्शन पाल सिंह ने भी समझौते को मानने से मना कर दिया । इसी तरह से टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर से भी सुबह 8 बजे रैली शुरू कर दी गई , हालांकि इन्हें 12 बजे के बाद रैली निकालने को कहा गया था । इन किसान नेताओं ने अपने समर्थकों को बैरिकेड तोड़ने के लिए कहा ।
उन्होंने कहा कि किसान नेताओं ने जिन बातों पर सहमति जताई थी , उनमें से किसी को भी नहीं माना । राकेश टिकैत समेत उनके समर्थकों ने भी इसी तरह हंगामा किया ।
इस दौरान पुलिस ने संयम बरता हालांकि उसके पास सभी विकल्प थे । पुलिस ने संयम का रास्ता इसलिए अपनाया क्योंकि हम जान माल का नुकसान नहीं चाहते थे । यह हमारी और किसान नेताओं के बीच समझौता था , लेकिन किसान नेताओं ने अपने वादे तोड़े । इस दौरान जो भी हिंसा हुई उसमें सभी किसान नेता शामिल हैं ।
- इस दौरान 394 पुलिस कर्मी घायल हुए हैं , जिनमें से कुछ अस्पताल में भर्ती है तो कुछ आईसीयू में हैं ।
- इस दौरान पुलिस की काफी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया है । पुलिस ने इस दौरान संयम बरता , पुलिस ने सिर्फ भीड़ को तीतर बितर करने के लिए आंसूगैस के गोले छोड़े ।
- इस दौरान जो भी उपद्रवी लाल किले तक पहुंचे और जिन्होंने किसान संगठनों और धार्मिक झंडे फहराए उन्हें पुलिस ने अपने कब्जे में लिया है ।
- हम बताना चाहते हैं कि किसानों द्वारा किए गए गैरकानूनी रैली और हिंसा को गंभीरता से लेते हैं , हमारे पास हिंसा करने वालों के चेहरे हैं और उनकी जांच की जा रही है । ऐसे लोगों की पहचान करके उनकी गिरफ्तारी होगी ।
- अब तक दिल्ली पुलिस 25 से ज्यादा मामले दर्ज कर चुकी है । सीसीटीवी फुटैज से उपद्रवियों की पहचान की जा रही है । यह बात साफ कर देना चाहते हैं कि जिसकी भी पहचान होगी उसे छोड़ा नहीं जाएगा । जो भी किसान नेता है , उनकी संलिप्तता पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी । किसान संगठनों से पूछताछ होगी और कठोर कार्रवाई होगी ।