Saturday, April 27, 2024

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विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा में भी पास हुए कृषि बिल , संसद में नारेबाजी , माइक तोड़ा - रूल बुक फाड़ी

अंग्वाल न्यूज डेस्क
विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा में भी पास हुए कृषि बिल , संसद में नारेबाजी , माइक तोड़ा - रूल बुक फाड़ी

नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किसानों से संबंधित जिन तीन विधेयकों को लोकसभा में आसानी से पास करवा लिया गया , उसे राज्यसभा में भारी विरोध का सामना करना पड़ा । हालांकि विपक्ष के भारी हंगामे के बीच रविवार को कृषि से संबंधित दो बिल राज्यसभा से भी पास हो गए हैं । कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 ध्वनि मत से पारित हुए हैं । हालांकि दोनों बिलों के पास होने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने सदन में जमकर नारेबाजी की । टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन तो इस कदर हिंसक हो गए कि उन्होंने न केवल रूल बुक को फाड़ा बल्कि माइक भी तोड़ दिया ।  

समय बढ़ाए जाने पर हंगामा

असल में लोकसभा से पास होकर उच्च सदन में आए कृषि संबंधित तीन बिलाों के समर्थन में जहां कई राजनीतिक दल थे तो कई दलों ने इसका जमकर विरोध किया । इस सबके बीच कांग्रेसी सांसद गुलाम नबी आजाद ने उपसभापति से मांग की कि राज्यसभा का समय ना बढ़ाएं । अधिकतर लोग चाहते हैं कि मंत्री का जवाब कल हो । राज्यसभा का समय 1:00 बजे तक है, लेकिन सरकार चाह रही थी कि बिल को आज ही पास करा लिया जाए । बावजूद इसके कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बिल पर जवाब दिया । इस दौरान हंगामा कर रहे सांसदों ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया । 

न्यूनतम समर्थन मूल्य का इस विधेयक से लेना देना नहीं

अपने जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का इस विधेयक से कोई भी लेना-देना नहीं है । न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हो रही थी और आने वाले समय में भी होगी । इसमें किसी को शंका करने की जरूरत नहीं है। किसानों को अपनी फसल किसी भी स्थान से किसी भी स्थान पर मनचाही कीमत पर बेचने की स्वतंत्रता होगी । 

सहमति डेथ वारंट पर हस्ताक्षर जैसा 

इस सब हंगामे के बीच कांग्रेसी सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन बिलों का विरोध करती है । पंजाब और हरियाणा के किसानों का मानना ​​है कि ये बिल उनकी आत्मा पर हमला है । इन विधेयकों पर सहमति किसानों के डेथ वॉरंट पर हस्ताक्षर करने जैसा है । वहीं आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस बिल के जरिए किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने का काम किया जा रहा है। यह एक काला कानून है जिसका मैं आम आदमी पार्टी की तरफ से विरोध करता हूं । 

 

 शिरोमणि अकाली दल बोला- किसानों को कमजोर न समझें

वहीं बिल पास होने से पहले इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल तो दूर खुद भाजपा की सबसे करीबी और पुरानी साथी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने ही मोर्चा खोला हुआ है । पार्टी की नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुकी हरसिमरत कौर बादल ने किसानों से जुड़़े इन तीन विधेयकों के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है । वहीं राज्यसभा में  शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा कि बिल को पहले सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए । जो हितधारक हैं उनको पहले सुना जाए । नरेश गुजराल ने साथ ही सरकार को चेतावनी भी दे दी । उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को कमजोर न समझे । 

शिवसेना ने दिखाए थे तेवर


इसी क्रम में भाजपा की पुरानी साथी पार्टी शिवसेना के नेता सांसद संजय राउत ने भी मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठाए । उन्होंने कहा - देश में 70 फीसदी लोग खेती से जुड़े हैं. पूरे लॉकडाउन में किसान ही काम रहे थे । सरकार क्या भरोसा दे सकती है कि बिल के पास होने के बाद किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और आगे देश में कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा । उन्होंने कहा कि अगर यह बिल किसान विरोधी है तो पूरे देश में विरोध क्यों नहीं हो रहा है? अगर पूरे देश में विरोध नहीं हो रहा है तो इसका मतलब है कि बिल को लेकर भ्रम, कुछ कन्फ्यूजन भी है ।सरकार को इसे दूर करना चाहिए । संजय राउत ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने बताया था कि बिल को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, ऐसे में मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अफवाह पर ही एक मंत्री ने इस्तीफा दे दिया । 

जनता दल यूनाइटेड का मिला समर्थन

पार्टी के एक अन्य सहयोगी दल JDU ने कृषि विधेयक का समर्थन किया है । पार्टी के सांसद रामचंद्र सिंह ने कहा कि बिहार 2006 में एपीएमसी अधिनियम से हटने वाला पहला राज्य था । तब से कृषि उत्पादन और खरीद एमएसपी के साथ बढ़ी है । 

सपा बोली - सरकार बहस की नहीं करना चाहती

केंद्र सरकार के इस बिल पर सपा के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि सरकार बिल पर बहस नहीं करना चाहती है । वो जल्द से जल्द सिर्फ बिल पास कराना चाहती है । बिल लाने के पहले विपक्ष के नेताओं से बात करनी चाहिए थी । कोरोना के नाम पर अध्यादेश लाया जा रहा है । सरकार ने भारतीय मजदूर संघ तक से विचार नहीं किया । 

केजरीवाल बोले - विपक्ष के नेता एकजुट हो जाएं

वहीं कृषि बिल पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है ।  उन्होंने कहा कि राज्यसभा में भाजपा अल्पमत में है. मेरी सभी गैर भाजपा पार्टियों से अपील है कि सब मिलकर इन तीनों बिलों को हरायें, यही देश का किसान चाहता है । 

वाईएसआर कांग्रेस भी समर्थन में

अगर बात YSR कांग्रेस की करें तो पार्टी ने भी कृषि विधेयक का समर्थन किया है । पार्टी के सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि पूर्व की सरकार मिडलमैन का समर्थन करती थी । किसानों को अपने उत्पाद को लाइसेंस प्राप्त बिचौलियों और उनके कार्टेल को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा । उनके इस बयान पर कांग्रेस के सांसदों ने हंगामा किया ।

टीआरएस का सरकार पर हमला

टीआरएस के सांसद के केशव रॉव ने सरकार पर हमला बोला है । उन्होंने किसानों के बिल को राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया । के केशव राव ने आरोप लगाया कि सरकार देश में कृषि की संस्कृति को बदलने की योजना बना रही है ।

टीएमसी बोली - यह सरकार सिर्फ वादा करती है

टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा करती है, लेकिन मैं बता दूं कि किसानों की आय 2028 तक दोगुनी नहीं हो सकती है । यह सरकार सिर्फ वादा करती है । दो करोड़ नौकरी कहां है ।  

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