नई दिल्ली। अपनी मांगों को लेकर हरिद्वार से दिल्ली कूच रहे किसानों ने देर रात अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। पहले किसानों पर सख्त केंद्र सरकार उने देर रात थोड़ी नरमी दिखाते हुए किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत दे दी। इजाजत मिलते ही किसानों का जत्था किसान घाट की ओर चल पड़ा। बताया जा रहा है कि कुछ मांगों पर सहमति बनने के बाद किसानों ने अपने घर वापस जाने का फैसला लिया है लेकिन कुछ अभी भी मोर्चे पर डटे हुए हैं।
गौरतलब है कि किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत ने कहा कि ‘‘फिलहाल किसान राजघाट और किसान घाट पहुंचकर लौट जाएंगे। बाकी बची मांगों के लिए सरकार को मांग पत्र दिया गया है जिसके लिए सरकार ने समय मांगा है। किसानों पर लाठीचार्ज के लिए दिल्ली पुलिस ने माफी मांगी है।’’
यहां बता दें कि इससे पहले किसानों को दिल्ली और यूपी की सीमा पर रोक दिया गया था। इसके बावजूद किसानों ने जबर्दस्ती घुसने का प्रयास किया जिसके बाद पुलिस ने वाॅटर कैनन और आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया। इसमें कई किसान और पुलिस वाले भी घायल हो गए। गौर करने वाली बात है कि अपनी मांगों को लेकर 23 सितंबर को हरिद्वार से शुरू हुई ‘‘किसान क्रांति पदयात्रा’’ किसान घाट पर फूल चढ़ाकर खत्म कर दी गई। यूपी सरकार ने एहतियात के तौर पर गाजियाबाद के सभी स्कूलों और काॅलेजों को बुधवार को बंद रखने का आदेश दिया है।
किसानों की 15 मांगें
-न्यूनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक दर्जा देने और देश भर के किसानों की सभी फसलों और सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य स्वामीनाथन द्वारा सुझाए गए फार्मूले के अनुसार घोषित किया जाए।
-किसानों के सभी तरह के कर्ज माफ किए जाएं।
-एनजीटी ने 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी है। इसे हटाया जाए।
-प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ के बजाय बीमा कंपनियों को लाभ मिल रहा है। योजना में किसानों के हितों के अनुसार बदलाव कर प्रीमियम का पूर्ण भुगतान सरकारों द्वारा किया जाए।
-किसानों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित की जाए। लघु व सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद कम से कम 5,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाए।
-देश में नीलघोड़ा, जंगली सुअर जैसे आवारा पशुओं के लिए एक नीति बनाई जाए, जिससे किसान को नुकसान की भरपाई हो सके।
-किसानों का बकाया गन्ना भुगतान ब्याज सहित बिना देरी भुगतान किया जाए। चीनी का न्यूनतम मूल्य 40 रुपये प्रति किलो तय किया जाए।
-किसानों को सिंचाई हेतु नलकूप की बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाए।
-पिछले 10 वर्ष में सरकारी रिकार्ड के अनुसार 3 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार का पुनर्वास और आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाए।
-मनरेगा को खेती से जोड़ा जाए।
-खेती में काम आने वाली सभी वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त किया जाए।
-कृषि को विश्व व्यापार संगठन से बाहर रखा जाए। मुक्त व्यापार समझौतों में कृषि पर चर्चा न की जाए।
-देश में पर्याप्त मात्रा में पैदावार होने वाली फसलों का आयात बंद किया जाए।
-देश में सभी मामलों में भूमि अधिग्रहण व पुनर्वास अधिनियम-2013 से ही किया जाए। भूमि अधिग्रहण को केंद्रीय सूची में रखते हुए राज्यों को किसान विरोधी कानून बनाने से रोका जाए। -किसानों की समस्याओं पर संसद का विशेष संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाए, जिसमें एक माह तक किसानों की समस्याओं पर चर्चा कर समाधान किया जाए।
7 मांगें मान ली गई...
1. दस वर्ष से अधिक डीजल वाहनों के संचालन पर एनजीटी की रोक के खिलाफ सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। राज्यों को भी इसी की तर्ज पर कार्रवाई करने के लिए सूचित किया जाएगा।
2. मनरेगा को खेती से जोड़ने के लिए पहले ही नीति आयोग ने मुख्यमंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी है। अब इसमें किसानों के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाएगा।
3. खेती में काम आने वाली वस्तुओं पर 5 फीसदी जीएसटी करने के लिए विषय को जीएसटी काउंसिल में रखा जाएगा।
4. सरकार के बजट घोषणा के अनुसार उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी घोषित करने के निर्णय का रबी फसलों में भी अनुपालन किया जाएगा। उसी के अनुसार सभी अधिसूचित फसलों पर घोषणा की जाएगी। साथ ही फसल खरीद की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य सरकारों को केंद्र की ओर से एडवाइजरी भेजी जाएगी, जिससे सभी फसलों का उचित दाम सुनिश्चित किया जा सकेगा।
5. पर्याप्त पैदावार होने वाली फसलों के आयात को रोकने के लिए कानून सम्मत प्रयास किया जाएगा। खरीद के लिए अनुमत अवधि को 90 दिन किया जाएगा।
6. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन के संबंध में उठाए गए मुद्दों पर कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में एक समिति बनेगी। यह फसल बीमा योजना व किसान क्रेडिट कार्ड योजना के कार्यान्वयन में आ रही परेशानियों पर किसान संगठनों से विमर्श के बाद अपनी संस्तुति देगी। इस पर सरकार किसानों के हित में निर्णय लेगी।
7. जंगली पशुओं द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान की भरपाई अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत की जाएगी। इसके लिए योजना में संशोधन किया जाएगा।