नई दिल्ली । किसानों का आंदोलन भारी विषम परिस्थितियों के बावजूद भी दिल्ली एनसीआर के बॉर्डर पर बदस्तूर जारी है । सरकार के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की बैठक होने के बावजूद भी अभी तक कोई ठोस समाधान नजर आता नहीं दिख रहा है । हालांकि प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन सरकार की कुछ बातों को अब मान गए हैं , लेकिन अभी भी गतिरोध पूरी तरह से छटता नजर नहीं आ रहा है। इस सबके बीच आज एक बार फिर से किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच ''आर-पार'' की बैठक होने जा रही है । कृषि मंत्री ने खुद इस बात के संकेत दिए हैं कि इस बार बैठक में इस समस्या का हल निकाल लिया जाएगा । हालांकि भाकियू नेता राकेश टिकैत ने इस दौर की बातचीत से पहले फिर सरकार के सामने तीन मांगे रख दी हैं।
थोड़ी देर में फिर शुरू होगी बैठक
बता दें कि अब से थोड़ी देर बाद किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच आठवें दौर की बैठक शुरू होने वाली है । दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होने वाली इस बैठक में कुछ बड़ा फैसला आने की उम्मीद सरकार ने जताई है । इससे पहले सातवें दौर की बातचीत में दो मुद्दों पर सहमति बन गई थी । वहीं आज चार में से 2 शर्तों पर चर्चा होनी है।
सरकार पेश कर सकती है यह फार्मूला
इस बीच खबर है कि सरकार बातचीत में बीच का रास्ता निकालने के लिए एक फॉर्मूला पेश कर सकती है । सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर लिखित भरोसा देने के विकल्प पर विचार कर रही है । इसके अलावा तीनों कानूनों को रद्द करने के मुद्दे पर सरकार समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव दे सकती है और इस कमेटी में किसान संगठनों को ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है ।
राकेश टिकैत ने फिर रखी मांग
आठवें दौर की बातचीत से पहले किसानों को सख्त तेवर दिखाए हैं । भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मीटिंग का एजेंडा रहेगा स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट, तीन कृषि क़ानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर क़ानून बने. हम वापस नहीं जाएंगे । अब तक 60 किसान शहीद हो चुके हैं । सरकार को जवाब देना होगा ।
हमारा आगे का कार्यक्रम तय
इसी क्रम में किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा का कहना है कि आज तीनों कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं बनती और MSP गारंटी का कानून नहीं आता तो हमारे अगले कार्यक्रम पहले से ही तैयार हैं । हम आगामी 6 जनवरी को ट्रैक्टरों पर मार्च किया जाएगा । 7 जनवरी को देश को जगाने की कवायद शुरू होगी ।
किसानों ने फिर दी चेतावनी
इस बीच किसानों ने सरकार को फिर से चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन और तेज करेंगे ।किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानती तो हम आगमी 13 जनवरी को नए कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाएंगे और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर किसान दिवस भी मनाएंगे । किसानों का कहना है कि हम आगामी 6 से 20 जनवरी तक देश जागृति पखवाड़ा मनाएंगे । किसान KMP एक्सप्रेसवे पर मार्च निकालेंगे ।