Monday, April 29, 2024

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भारत ने WHO को सुनाई खरी-खरी , कहा- नहीं मानेंगे संगठन के सुझाव , अमेरिका ने अपने रुख में किया बदलाव

अंग्वाल न्यूज डेस्क
भारत ने WHO को सुनाई खरी-खरी , कहा- नहीं मानेंगे संगठन के सुझाव , अमेरिका ने अपने रुख में किया बदलाव

नई दिल्ली । आखिरकार भारत सरकार ने भी कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी से लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । भारत ने अपने नए निर्देश और शोध से WHO को संकेत दिया है कि कोरोना वायरस से लड़ाई में अब देश अकेले ही चलेगा । देश के हित में जो शोध और इलाज जरूरी हो वही करेगा । साथ ही भारत के वैज्ञानिकों से साफ कर दिया है कि उन्हें WHO के सुझाव को कोई जरूरत नहीं है । हालांकि अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ के प्रति अपने रुख में थोड़ा बदलाव कियाय है । रविवार को व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन में फिर से शामिल होने पर विचार किया जाएगा अगर संगठन में जारी भ्रष्टाचार और चीन पर निर्भरता को समाप्त कर दे । 

बता दें कि हाल में WHO ने सदस्य देशों को निर्देश दिए थे कि कोरोना वायरस के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खतरनाक साबित हो सकती है,  इसीलिए इसके ट्रायल बंद कर दें । बावजूद इसके भारतीय वैज्ञानिकों ने न सिर्फ इस दवा पर शोध किया बल्कि देश के डाक्टरों से कहा है कि कोरोना वायरस इलाज में इस दवा से बचाव हो सकता है । 

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने अपने ताजा शोध  में कहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दवा लेने पर कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे में कमी देखी गई है । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दरअसल ज्यादातर पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक और दवा कंपनियां भारत के बेहद सस्ती दवाओं के उपचार को लेकर हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश में रहती हैं । 

कोरोना वायरस का इलाज मलेरिया से बचाव के लिए बनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से संभव है। अगर कोरोना वायरस से बचाव के लिए इस सस्ती दवा का उपयोग बढ़ जाए तो पश्चिमी देशों की दवा कंपनियों को करोड़ो रुपयों के नुकसान है । यही कारण है कि इनकी लॉबी WHO पर दबाव बनाकर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सभी ट्रायल बंद करना चाहती हैं । इसका भारत ने विरोध कर दिया है ।


इससे इतर , कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी छुपाने को लेकर अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर हमलावर है और उसे फंड देने से भी इनकार कर चुका है ।  अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने  WHO पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया था. बता दें कि चीन के वुहान से ही इस महामारी की शुरुआत हुई थी। लेकिन अब अमेरिका ने अपने इस रुख में कुछ बदलाव किया है । अमेरिका ने कहा - विश्व स्वास्थ्य संगठन में फिर से शामिल होने पर विचार किया जाएगा अगर संगठन में जारी भ्रष्टाचार और चीन पर निर्भरता को समाप्त कर दे । 

इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि जो 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर वो पहले डब्ल्यूएचओ को देता था अब वो पैसा दूसरे अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य निकायों पर खर्च करेगा । हालांकि अब एक बार फिर अमेरिका ने WHO से मतभेदों को खत्म करने के संकेत दिए हैं लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं । 

बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण को फैलाने में WHO पर आरोप लगते रहे हैं । खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी WHO की भूमिका पर सवाल उठाए हैं . ये बात जगजाहिर भी रही है कि WHO में कई दवा निर्माता कंपनियां भी अलग अलग तरीके से दबाव बनाने की कोशिशें करती रही हैं । 

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