नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक स्थानों, जुलूसों या जलसों में अब लाउडस्पीकर बजाना लोगों को महंगा पड़ सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद प्रदेश के गृह विभाग ने सभी जिलाअधिकारियों को यह आदेश दिया है कि बिना इजाजत बजाए जा रहे लाउडस्पीकरों को 20 जनवरी तक उतरवा दिया जाए। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों को 5 सालों की सजा के साथ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई
गौरतलब है कि बिना अनुमति लाउडस्पीकर बजाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। पर्यावरण (संरक्षण) 1986 अधिनियम की धारा 15 के तहत यह दंडनीय अपराध है। इसका उल्लंघन करने पर 5 साल का कारावास या एक लाख का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। बता दें कि इसके तहत हर दिन उल्लंघन करने वालों को 5 हजार रुपये प्रतिदिन की सजा अलग से है। गृह विभाग न साफ कर दिया है कि जिन अधिकारियों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रोकने की जिम्मेदारी है अगर वे लापरवाही बरतते हैं तो उनपर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रमुख सचिव गृह को इस मामले में 1 फरवरी को हाईकोर्ट को रिपोर्ट देनी है।
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जगहों की पहचान की जिम्मेदारी
आपको बता दें कि प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को निर्देश दिए हैं कि राजस्व और पुलिस की एक टीम बनाकर 10 जनवरी तक ऐसे धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थानों की पहचान की जाए जहां बिना इजाजत लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं और उन्हें 15 जनवरी तक कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुसार इजाजत लेने के नोटिस दिए जाएं। अगर कोई बिना इजाजत के लाउडस्पीकर बजाता है तो उनके खिलाफ ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 के तहत कार्रवाई की जाए।