मुंबई । महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनाने के लिए उन्हें समर्थन देने को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार शाम पार्टी नेताओं के साथ पौने तीन घंटे की एक अहम बैठक की । इस दौरान महाराष्ट्र कांग्रेस से आए 6 नेताओं के साथ सोनिया गांधी ने मंथन बैठक की । हालांकि अब खबर आ रही है कि कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर महाराष्ट्र कांग्रेस के उन 37 विधायकों के दबाव में है , जिन्होंने कांग्रेस आलाकमान से शिवसेना को बिना शर्त समर्थन देने की बात कही थी । इन सभी विधायकों से सोनिया गांधी ने खुद बात की और उनकी राय पूछी । हालांकि महाराष्ट्र के तमाम बड़े नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की गई , जिसमें कहा जा रहा है कि अधिकांश नेता शिवसेना को समर्थन देने के पक्ष में नहीं थे। बावजूद इसके कांग्रेस आलाकमान महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों में फूट न पड़ जाए, इसके चलते शिवसेना को समर्थन देने पर राजी हुई है। लेकिन खबर लिखे जाने तक कांग्रेस ने शिवसेना को अपना समर्थन पत्र नहीं दिया था। वहीं कांग्रेस ने अपना एक बयान जारी करते हुए कहा कि अभी कांग्रेस एनसीपी के साथ बात करना चाहती है, इसके बाद कोई अंतिम फैसला लेगी ।
बता दें कि एक समय तक महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के लिए एनसीपी नेता शरद पवार को किंग मेकर माना जा रहा था , लेकिन सोनिया गांधी ने इस मामले में कोई जल्दबाजी न दिखाते हुए अपने फैसले लिए । शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जहां महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं और वर्किंग कमेटी के शामिल नेताओं के साथ बैठक की , वहीं सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के उन 37 विधायकों से भी फोन पर बात की , जो शिवसेना को समर्थन देने की मांग कर रहे थे ।
इस दौरान कांग्रेस आलाकमान के सामने संकट यह आया कि अगर वह विधायकों की मांग खारिज करते हैं तो न केवल राज्य में सरकार का गठन नहीं होगा , बल्कि इन विधायकों में भी फूट पड़ सकती है और वे भाजपा के साथ भी जा सकते हैं । वहीं अगर शिवसेना को समर्थन देते हैं तो उनके साथ वैचारिक मतभेद के बावजूद मात्र सरकार बनाने और भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए समर्थन देने का ठप्पा लगेगा । इससे कांग्रेस की छवि और खराब हो सकती है । इसी के चलते कांग्रेस ने देर शाम एक बयान जारी करते हुए कहा कि अभी वह एनसीपी के साथ एक बैठक करेंगे इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।