नई दिल्ली । देश के बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप कांड में बचाव पक्ष की ओर से लगातार फांसी की सजा को कानूनी दांवपेच का सहारा लेकर टालने की साजिशों को एक बार फिर से अंजाम दिया गया है । अब इस कांड के चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है । इस याचिका में पवन गुप्ता ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की है । पवन ने यह याचिका अपनी फांसी की सजा से महज 4 दिन पहले कोर्ट में लगाई है , ताकि एक बार फिर से उनके खिलाफ जारी डेथ वारंट रद्द हो सके । इससे पहले तीनों अन्य दोषी भी कुछ ऐसा ही करके अपनी फांसी के डेथ वारंट को रद्द करवा चुके हैं । इतना ही नहीं इस बात की पहले से आशंका जताई जा रही थी कि पवन फांसी के करीब आने पर कानूनी दांवपेच का सहारा लेते हुए फांसी से तीन- चार दिन पहले क्यूरेटिव याचिका दायर कर सकता है ।
विदित हो कि निर्भया रेप केस के चार दोषियों की फांसी का डेथ वारंट जारी हो चुका है , जिसके तहत उन्हें 3 मार्च को सुबह 6 बजे दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया जाना है । इससे पहले भी दो बार उनके खिलाफ डेथ वारंट जारी हुआ , लेकिन अन्य दोषियों ने कभी अपनी क्यूरेटिव याचिका या दया याचिका का सहारा लेते हुए अपनी सजा को टाल दिया था । यह तीसरा मौका है जब चारों दोषियों की फांसी की सजा के लिए तारीख का ऐलान हुआ है ।
बहरहाल, पवन गुप्ता ने अब सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल कर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की है । दरअसल, दोषी पवन गुप्ता ने अभी तक सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेविट याचिका नहीं लगाई थी ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि एक बार फिर से दोषियों की फांसी की सजा टल सकती है । इतना ही नहीं पवन ने अभी तक राष्ट्रपति से दया की गुहार भी नहीं लगाई है । ऐसे में उसके पास एक और मोका होगा अपनी सजा को टालने के लिए कानूनी दांवपेच चलने का ।
बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन गुप्ता ने अपनी याचिका में एक बार फिर घटना के वक्त नाबालिग होने की बात उठाई है । एपी सिंह का कहना है कि घटना के वक्त पवन 18 साल से कम उम्र का था। हालांकि चार में तीन दोषी मुकेश, विनय और अक्षय फांसी से बचने के लिए राष्ट्रपति के सामने दया याचिका भी लगा चुके हैं, लेकिन वो खारिज हो गई हैं ।