नई दिल्ली/ पटना।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोज में शामिल होंगे। इस खबर से सियासत के कुनबे में कानाफूसी शुरू हो गई है। कभी नीतीश कुमार और मोदी का रिश्ता भोज से ही टूटा था और अब ऐसा माना जा रहा है कि यह रिश्ता भोज से ही जुड़ जा सकता है। बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को सोनिया गांधी के भोज मे नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए थे। ऐसी खबरें हैं कि मोदी और नीतीश भोज पर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा कर सकते हैं। पीएम मोदी ने मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में यह भोज रखा है। जगन्नाथ तीन दिन के भारत दौरे पर हैं।
नीतीश ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री की ओर से जगन्नाथ के सम्मान में दिए गए भोज में शामिल होने का न्यौता मिला है। मैं बिहार के मुख्यमंत्री की हैसियत से इस भोज में शामिल होने जा रहा हूं। मॉरिशस के साथ बिहार का भावनात्मक संबंध रहा है, क्योंकि वहां की 52 फीसदी आबादी बिहार मूल की है। वर्तमान प्रधानमंत्री भी बिहार मूल के ही हैं। हम पहले भी जापान के प्रधानमंत्री के भारत आगमन पर दिल्ली में आयोजित भोज में शामिल हुए थे।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सोनिया के भोज में न शामिल होने और मोदी के भोज में आने के नीतीश के इस ताजा कदम से महागठबंधन में दरार और चौड़ी होगी। भाजपा सांसद छेदी पासवान ने कह दिया कि नीतीश के ना का क्या मतलब है, समझ लेना चाहिए।
गंगा पर होगी चर्चा
नितीश ने बताया कि पीएम मोदी से भोज के बाद मुलाकात में गंगा को लेकर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि गंगा की गाद की समस्या बड़ी समस्या है और मुझे इसकी चिंता है। नीतीश ने शुक्रवार को पत्र लिखकर इस बाबत पीएम से समय मांगा था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।