लखनऊ । यूपी की सियासत में बवाल खड़ा करने वाला हाथरस का कथित गैंगरेप कांड पिछले कुछ दिनों से देश की सुर्खियों में बना हुआ है । इस मामले की एसआईटी जांच करवाई जा रही थी , लेकिन अब इस कांड को लेकर फैसला हुआ है । असल में अब इस कांड की जांच सीबीआई करेगी । सीबीआई ने एसआईटी की जांच को टेकओवर कर लिया है। पिछले दिनों सुबे के सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआई जांच की संस्तुति के लिए पत्र लिखा था , जिसपर मुहर लगने के बाद अब सीबीआई इस मामले की जांच करेगी । हालांकि पीड़ित परिवार ने सीबीआई जांच की बातों पर पिछले दिनों अपना विरोध दर्ज करवाया था ।
बता दें कि हाथरस के कथित गैंगरेप कांड की आड़ में विपक्षी दलों ने योगी सरकार को जमकर निशाने पर लिया था । विपक्षी दलों ने सुबे के विभिन्न कोनों में धरना प्रदर्शन किए । कांग्रेस ने इस मुद्दे को भुनाने के लिए पीड़ित परिवार से मिलने के लिए जमकर हंगामा किया । हालांकि इस सबके बाद जब से इस कांड की आड़ में यूपी में दंगों की साजिश का खुलासा हुआ है , सभी राजनीतिक दल भी शांत पड़ गए हैं । खुलासा हुआ है कि यूपी में दंगों की साजिश की जा रही थी , जिसके लिए मॉरिशस से 50 करोड़ रुपये भी आए । इतना ही नहीं पीड़िता के गांव के लोगों का भी कहना है कि जिन चारों युवाओं को गिरफ्तार किया गया है , वो चारों बेकसूर हैं।
गृहमंत्रालय की राज्यों को एडवाजरी , महिला शोषण की शिकायतों पर FIR दर्ज करवा अनिवार्य , लापरवाह अफसर नपेंगे
इतना ही नहीं इस मामले में अब एक संदिग्ध महिला की भी तलाश की जा रही है , जिसका संबंध नक्सलियों से बताया जा रहा है । यह महिला पीड़िता परिवार के घर में उनकी रिश्तेदार बनकर रह रही थी और वह परिजनों को भड़काने और खुद मीडिया और एसआईटी जांच में पीड़िता की भाभी बनकर बयान दे रही थी । हालांकि यह महिला अब फरार है , जिसकी तलाश की जा रही है ।
इस सब के चलते योगी सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति की थी । केंद्र सरकार की डीओपीटी विभाग के नोटिफिकेशन के बाद सीबीआई ने हाथरस केस को टेकओवर किया है । गत 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस केस की जांच सीबीआई से कराए जाने के आदेश दिए थे । योगी सरकार के इस आदेश के बाद गैंगरेप पीड़िता की फर्जी रिश्तेदार जो खुद को पीड़िता की भाभी बता रही थी, उसने कहा था कि हम सीबीआई जांच नहीं चाहते हैं । केस की न्यायिक जांच होनी चाहिए । हम जज की निगरानी में जांच चाहते हैं ।
हाथरस कांड - परिवार संग फर्जी रिश्तेदार बनकर रही एक संदिग्ध नक्सली महिला फरार! , परिजनों को भड़काने के आरोप
हाथरस कांड के बाद जातीय उन्माद फैलाने की साजिश का खुलासा हुआ है, जिसके पीछे पीएफआई का नाम आया है । इसी दौरान पुलिस ने PFI के मुखपत्र के संपादक को गिरफ्तार किया है, जो केरल में है । जांच में सामने आया है कि वह शाहीन बाग के पीएफआई कार्यालय का सचिव भी था ।