नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन किया । इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा - हम Quality Debate के लिए भी अलग से समय निर्धारित करने के बारे में सोच सकते हैं क्या? ऐसी डिबेट जिसमें मर्यादा का, गंभीरता का पूरी तरह से पालन हो, कोई किसी पर राजनीतिक छींटाकशी ना करे। एक तरह से वो सदन का सबसे Healthy समय हो, Healthy Day हो ।
उन्होंने कहा कि हमें आने वाले सालों में देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं । उन्होंने कहा कि ये संकल्प ‘सबके प्रयास’ से ही पूरे होंगे और लोकतन्त्र में भारत की संघीय व्यवस्था में जब हम ‘सबका प्रयास’ की बात करते हैं तो सभी राज्यों की भूमिका उसका बड़ा आधार होती है। पीएम मोदी ने कहा कि सदन में आचार और व्यवहार सही होना चाहिए । ये हम सबकी जिम्मेदारी है ।
मंथन से कुछ न कुछ अमृत निकलता है
पीएम मोदी ने कहा, ''ये सम्मेलन हर साल कुछ नए विमर्शों और नए संकल्पों के साथ होती है. हर साल इस मंथन से कुछ न कुछ अमृत निकलता है । आज इस परंपरा को 100 साल हो रहे हैं ये भारत के लोकतांत्रिक विस्तार का प्रतिक है । हमारा देश विविधताओं से भरा है , अपनी हज़ारों साल की विकास यात्रा में हम इस बात को अंगीकृत कर चुके हैं कि विविधता के बीच भी एकता की भव्य और दिव्य अखंड धारा बहती है । एकता की यही अखंड धारा, हमारी विविधता को संजोती है, उसका संरक्षण करती है।''
जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं, जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं । अपने समाज जीवन के इस पक्ष के बारे में भी देश को बताएं । आप देखिएगा, इससे दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ ही समाज के अन्य लोगों को भी कितना कुछ सीखने को मिलेगा ।
1921 में शुरू हुआ था सम्मेलन
बता दें कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन (एआईपीओसी) भारत में व्यवस्थापिकाओं की शीर्ष संस्था है, जो 2021 में अपना शताब्दी वर्ष मना रही है । एआईपीओसी का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के 82वें संस्करण का आयोजन 17-18 नवम्बर, 2021 को शिमला में किया जाएगा । प्रथम सम्मेलन का आयोजन भी शिमला में 1921 में किया गया था ।