नई दिल्ली । पीएम मोदी (PM Narendra Modi) शनिवार को पहले अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (All India District Legal Services Authorities) के उद्घाटन समारोह में पहुंचे । इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे समाज के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) और ईज ऑफ लिंविंग (Ease of Living) की तरह ही ईज ऑफ जस्टिस (Ease of Justice) भी बेहद जरूरी है । उन्होंने कहा- यह समय हमारी आजादी के अमृत काल का है, यह समय उन संकल्पों का है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे ।
यह समय ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ''आपने इस तरह के आयोजन के लिए जो समय चुना है, वो सटीक भी है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भी है । आज से कुछ ही दिन बाद देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है। ऐसे में यह समय हमारी आजादी के अमृतकाल का है । आप सब यहां संविधान के विशेषज्ञ और जानकार हैं. हमारे संविधान के आर्टिकल 39A, जो राज्य नीति के निदेशात्मक सिद्धांत के अंतर्गत आता है, उसने कानूनी सहायता को बहुत प्राथमिकता दी है । न्याय का यह भरोसा हर देशवासी को यह अहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं. इसी सोच के साथ देश ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की स्थापना भी की ।
जस्टिस डिलीवरी भी बहुत जरूरी
पीएम ने कहा - किसी समाज के लिए जितनी जरूरी न्याय प्रणाली है , उतनी ही जरूरी जस्टिस डिलीवरी का होना भी है । इसमें एक अहम योगदान जुडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर का भी होता है । पिछले आठ वर्षों में देश के जुडिशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके । इसे आधुनिक बनाने के लिए 9,000 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं।
देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू किए
पीएम ने कहा कि पिछले कुछ सालों में देश में ई कोर्ट्स मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट शुरू किए जा रहे हैं । ट्रैफिक वायलेशन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है । लोगों की सुविधा के लिए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है ।
विचाराधीन कैदियों की रिहाई पर बोले
इसी क्रम में उन्होंने न्यायपालिका से आग्रह किया कि वह विभिन्न कारागारों में बंद एवं कानूनी मदद का इंतजार कर रहे विचाराधीन कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी लाए ष। वह बोले - कारागारों में कई विचाराधीन कैदी कानूनी मदद मिलने का इंतजार कर रहे हैं । हमारे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने की जिम्मेदारी ले सकते हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम में आए जिला न्यायाधीशों से आग्रह किया कि वे विचाराधीन मामलों की समीक्षा संबंधी जिला-स्तरीय समितियों के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यालयों का उपयोग करके विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी लाएं।
न्याय का ये भरोसा...
उन्होंने कहा - लोगों का हमारी न्याय प्रक्रिया के प्रति यह भरोसा हर देशवासी को ये एहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं। इसी सोच के साथ देश ने National Legal Services Authority की स्थापना भी की। ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके। आप सब यहां संविधान के experts और जानकार हैं। हमारे संविधान के आर्टिकल 39A, जो Directive principal of state policy के अंतर्गत आता है, उसने लीगल एड को बहुत प्राथमिकता दी है।