नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा चुनावों में आचार संहिता उल्लंघन का नोटिस मिलने के बाद उन्होंने 11 पन्नों का अपना जवाब आयोग को भेज दिया है । अपने इस जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने किसी प्रकार के चुनाव संहिता का उल्लंघन नहीं किया है । उनका बयान किसी तरह का उल्लंघन नहीं है । उन्होंने साथ ही चुनाव आयोग से कहा कि वह आचार संहिता उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों का निपटारा करते वक्त निष्पक्ष रहे । इतना ही नहीं राहुल ने कहा कि आयोग कांग्रेस के खिलाफ भेदभावपूर्ण रवैया न अपनाए । उन्होंने कहा कि मैं तो भारतीय वन कानून में प्रस्तावित संशोधन को अपने एक भाषण में सरल ढंग से समझाने की कोशिश कर रहा था। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को नोटिस के जवाब में लिखे अपने जवाब में कहा कहा कि उनकी मंशा अपुष्ट तथ्यों का बयान कर लोगों को बहकाने की नहीं थी ।
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बता दें कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर गत 23 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के शहडोल में एक बयान में दावा किया था कि पीएम मोदी की सरकार ने एक ऐसा नया कानून बनाया है जिसमें आदिवासियों को गोली मारने की इजाजत दी गई है । राहुल के इस बयान पर चुनाव आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था । इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने आयोग को यह भी बताया कि भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से रोकने के लिए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि वह एक राजनीतिक पार्टी के प्रमुख हैं और उसके स्टार प्रचारक भी हैं । राहुल ने कहा कि उनकी आलोचना मोदी सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यों तक ही सीमित थी ।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र में लोकप्रिय भावनाओं की अभिव्यक्ति है और जब तक विचारों के स्वतंत्र प्रचार-प्रसार की अनुमित नहीं दी जाती है चुनाव का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी नीतियों की खामियों और खासियतों को जनता के सामने रखना और उन्हें उनपर निर्णय लेने के लिए कहना लोकतंत्र के लिए जरूरी है।
इसी क्रम में राहुल गांधी ने कहा कि चुनावी रैलियों के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा नेताओं द्वारा दिये गए कई बयानों का हवाला दिया, जिनमें कई नेताओं ने 'आपत्तिनजक' शब्दों का इस्तेमाल किया था।
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