नई दिल्ली । संसद के मानसून सत्र में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ बॉर्डर पर जारी गतिरोध के चरम पर पहुंचने पर बयान दिया । उन्होंने कहा हमारी सेनाएं सीमा पर मजबूती के साथ डटी हुई हैं । मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं मैं इस मुद्दे पर ज्यादा विस्तार से नहीं बोलना चाहता हूं और इस संवेदनशीलता को सदन समझेगा । राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की तरफ से पहले सैन्य कार्रवाई नहीं की गई, जबकि चीन की तरफ से की गई है, लेकिन हमने उनके इरादों को कामयाब नहीं होने दिया । राजनाथ सिंह ने कहा कि हम इस मुद्दे को शांतिपूर्वक ढंग से सुलझाना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि चीनी पक्ष हमारे साथ मिलकर काम करें । हालांकि रक्षा मंत्री ने ये भी कहा भारतीय सैनिक हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
अपनी बात रखते हुए रक्षा मंत्री ने सदन में कहा कि चीन ने पिछले कई दशकों में सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी तैनाती क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा निर्माण गतिविधि की । हमारे सरकार ने भी सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट को पिछले स्तरों से लगभग दोगुना कर दिया है ।
उन्होंने कहा कि चीन की नापाक साजिशों को देखने के बावजूद हमारी ओर से कई बार शांति बहाल करने के लिए कई समझौते किए गए । लेकिन चीन औपचारिक सीमाओं को नहीं मानता । उसकी कथनी और करनी में फर्क है. हमारे जवानों ने चीन को भारी क्षति पहुंचाई है । चीन ने एलआईसी की यथास्थिति को बदलने की कोशिश की । विदित हो कि संसद के मॉनसून सत्र का आज चौथा दिन है । इस दौरान LAC पर चीन के साथ जारी तनाव पर राजनाथ सिंह ने बयान दिया । इससे पहले रक्षा मंत्री ने मंगलवार को लोकसभा में बयान दिया था । अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने चीन पर निशाना साधा । उनहोंने कहा कि चीन की LAC में बदलाव की मंशा है, हालांकि हमारे जवानों ने उसकी मंशा को पहले ही भांप लिया ।
इस दौरान राज्यसभा में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि हम सभी देश के जवानों के साथ खडे़ हैं । मैं स्पष्टीकरण चाहता हूं । रक्षा मंत्री के बयान का क्या मतलब है कि सरकार देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सब कुछ करेगी? संप्रभुता की रक्षा करने का मतलब है यथास्थिति बहाल करना. गलवान घाटी कभी भी विवाद की जगह नहीं थी । इसी क्रम में कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि चीन के मुद्दे पर हम सरकार के साथ हैं । देश सेना के साथ खड़ा है , हम सभी एकजुट हैं ।
इसी क्रम में राज्यसभा के सभापति ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सलाह दी कि वह अपने चैंबर में कुछ वरिष्ठ सदस्यों को बुलाएं और उनके साथ विवरण साझा करें ।