नई दिल्ली । रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर गुरुवार को 10वें दिन भी सुनवाई जारी है । इस मामले में अभी तक निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के वकील अपना पक्ष कोर्ट के सामने रख चुके हैं। गुरुवार को एक बार फिर से गोपाल सिंह विशारद की ओर से वकील रंजीत कुमार ने अपनी दलीलें रखीं । कोर्ट में राजीव कुमार ने कहा कि 1949 में मुस्लिम पार्टी ने कहा था कि वह 1935 से वहां पर नमाज नहीं पढ़ रहे हैं, ऐसे में अगर जमीन को हिंदुओं को दिया जाता है तो कोई परेशानी नहीं होगी । उनकी ओर से 1950 में ही मुकदमा दाखिल किया गया था और उनका सूट नंबर एक है । इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे की वैधता को पूछा और पूछा कि क्या ये हलफनामे वेरिफाई हैं । वहीं जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये हलफनामा तब दिया गया था जब सरकार जमीन को रिसीवर को सौंपना चाह रही थी । क्या ये बातें कभी मजिस्ट्रेट के सामने साबित हो पाई थी? ।
याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि मैं श्रीराम उपासक हूं और मुझे जन्मस्थान पर उपासना का अधिकार है । यह अधिकार मुझसे छीना नहीं जा सकता । उन्होंने 80 साल के अब्दुल गनी की गवाही का हवाला देते हुए कहा कि गनी ने कहा था बाबरी मस्जिद राम जन्मस्थान पर बनी है । ब्रिटिश राज में मस्जिद में सिर्फ जुमे की नमाज़ होती थी, हिन्दू भी वहां पर पूजा करने आते थे । रंजीत कुमार ने कहा कि मस्जिद गिरने के बाद मुस्लिमों ने नमाज़ पढ़ना बंद कर दिया, लेकिन हिंदुओं ने जन्मस्थान पर पूजा जारी रखी ।
इससे पहले बुधवार को रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने अपनी बहस पूरी कर ली थी । उन्होंने कहा था कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो, लोगों की आस्था होना काफी है, यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है । वैद्यनाथन ने कहा था कि जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उस संपत्ति को ले नहीं सकता और उस संपत्ति से ईश्वर का हक नहीं छीना जा सकता । ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा।
वहीं बुधवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कई तरह के सवाल दागे । उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ पुख्ता सबूत चाहिए। हमें नक्शा दिखाएं या कुछ ऐसा दिखाइए कि जिससे पता लग सके कि आप जिस स्थान का दावा कर रहे हैं वो वही जगह है । CJI ने पूछा कि धर्मग्रंथों का इस वक्त मामले से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि सवाल आस्था का नहीं बल्कि जमीन का है ।