नई दिल्ली । कर्नाटक की कुमार स्वामी सरकार पर छाया संकट बदस्तूर जारी है । लेकिन इस सब के बीच राज्य के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दिया है । सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को राज्य के बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें चीफ जस्टिस ने कहा कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना है यह हम तय नहीं करेंगे । हालांकि इससे पहले कांग्रेस जेडीएस सरकार से इस्तीफा देने वाली विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायक कोई ब्यूरोक्रेट या कोई नौकरशाह नहीं हैं, जो कि इस्तीफा देने का कारण बताए । इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर हम आपकी बात मानें, तो क्या हम स्पीकर को कोई ऑर्डर दे सकते हैं? आप ही बताएं कि ऐसे में क्या ऑर्डर हम दे सकते हैं? मुकुल रोहतगी ने इस दौरान मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा के उदाहरण भी पेश किए.।
हम तय नहीं करेंगे कि स्पीकर इस्तीफा तय करेंगे या नहीं
बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा - हम यह तय नहीं करेंगे कि विधानसभा स्पीकर को क्या करना चाहिए , मतलब, उन्हें इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं । हम सिर्फ यग देख सकते हैं कि क्या संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर निर्णय कर सकता है । हालांकि बागी विधायकों के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस दौरान कहा कि इस्तीफे के पीछे कई कारण हो सकते हैं ।
स्पीकर जबरन इस्तीफा रोक सकते हैं
बागी विधायकों के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा - जिन विधायकों ने याचिका डाली है अगर उनकी मांग पूरी होती है तो कर्नाटक की सरकार गिर जाएगी । स्पीकर जबरन इस्तीफा नहीं रोक सकते हैं । इस दौरान चीफ जस्टिस ने मुकुल रोहतगी से अयोग्य करार दिए जाने के नियमों के बारे में पूछा । रोहतगी ने इस दौरान केरल, गोवा, तमिलनाडु हाईकोर्ट के कुछ फैसलों के बारे में बताया , जिसमें स्पीकर को पहले इस्तीफे पर विचार करने को कहा गया है और अयोग्य के लिए फैसले को बाद में । उन्होंने कहा कि केरल की अदालत ने तो तुरंत इस्तीफा स्वीकार करने की बात कही थी ।
18 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग
विदित हो कि कर्नाटक में मचे राजनीतिक घमासान की तस्वीर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ होगी तो वहीं 18 जुलाई को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है । मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का दावा है कि उनके पास बहुमत है । 224 विधायकों वाली विधानसभा में अभी कांग्रेस-जेडीएस के पास 100 (विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होता है तो), भाजपा के पास 105+ विधायक हैं । ऐसे में अगर स्पीकर इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करती है तो राज्य की कुमार स्वामी सरकार गिर जाएगी ।