नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार की बड़ी सफलताओं में से एक तीन तलाक कानून को लेकर एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है । मामला तीन तलाक को अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य की याचिका पर सुनवाई का है , जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है । याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट एक साथ 3 तलाक को अमान्य कह चुका है , ऐसे में कानून की जरूरत नहीं थी । याचिका में कहा गया है कि पति के जेल जाने से पत्नी की मदद नहीं होगी। लापरवाही से जान लेने जैसे अपराध की सजा जहां 2 साल है , वहीं तीन तलाक में 3 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है।
असल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य की याचिका पर जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की । याचिका पर पीठ ने मोदी सरकार को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में जवाब देने के आदेश दिए हैं ।
विदित हो कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 अगस्त को तीन-तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद से तीन बार 'तलाक' बोल कर तत्काल तलाक देना अपराध की श्रेणी में माना जाएगा । इसके लिए कानून में तीन तलाक का प्रावधान रखा गया है ।