नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक के मुद्दे पर मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने 3-2 से एक साथ तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया और इसपर अगले 6 महीने तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को इसपर कानून बनाने के निर्देश दिए हैं।
क्या कहा कोर्ट ने
-एक साथ तीन तलाक असंवैधानिक। सुप्रीम कोर्ट ने तीन-दो के बहुमत से फैसला सुनाया।
-तीन तलाक पर 6 महीने की रोक।
-मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नजीर ने कहा ये 1400 साल पुरानी प्रथा और मुस्लिम धर्म का अभिन्न हिस्सा है ऐसे में कोर्ट इसे रद्द नहीं कर सकता है।
-जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएएफ नारिमन और जस्टिस यूयू ललित ने एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया और इसे खारिज कर दिया।
-तीनों जजों ने 3 तलाक को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है।
-जस्टिस नजीर और चीफ जस्टिस खेहर ने नहीं माना था असंवैधानिक। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा कि तीन तलाक धार्मिक प्रैक्टिस है, इसलिए कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। दोनों ने कहा कि तीन
तलाक पर छह महीने का स्टे लगाया जाना चाहिए, इस बीच में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी रहेगा। हालांकि, दोनों जजों ने माना कि यह पाप है।
-अगर 6 महीने के अंदर तीन तलाक पर कानून नहीं लाया जाता है तो तीन तलाक पर रोक जारी रहेगी।
आपको बता दें कि इस मामले की शुरुआत तब हुई थी जब उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर तीन तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। कोर्ट के फैसले से पहले तीन तलाक की पीड़िता और याचिकाकर्ता शायरा बानो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब समय और सरकार दोनों ही बदल गए हैं ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि इसके लिए कानून जरूर बनाया जाएगा।