नई दिल्ली । कोरोना की प्रचंड लहर के बीच सोमवार को एक अच्छी खबर यह आई कि देश में संक्रमित लोगों की संख्या में थोड़ी ही सही लेकिन कमी आई है । हालांकि देश के मौजूदा हालात को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से सवाल पूछती नजर आ रही है । पिछले दिनों कोरोना से निपटने का प्लान मांगने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सुझाव दिया है कि हालात पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को संपूर्ण लॉकडाउन पर विचार करना चाहिए ।
इस दौरान कोर्ट ने केंद्र को चार दिन के भीतर यह बफर स्टाक तैयार करने का निर्देश दिया है और कहा है कि इस बफर स्टाक में रोजाना आक्सीजन की उपलब्धता का स्तर बनाए रखा जाए। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में दो सप्ताह के भीतर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे। कोर्ट ने आदेश में उठाए गए अन्य मुद्दों पर भी केंद्र से अगली सुनवाई तक जवाब मांगा है।
विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सलाह दी है कि वह कुछ समय के लिए लॉकडाउन पर विचार करें । कोर्ट ने कहा है कि हम गंभीर रूप से केंद्र और राज्य सरकारों से सामूहिक समारोहों और सुपर स्प्रेडर घटनाओं पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करें । वे जन कल्याण के हित में वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने पर भी विचार कर सकते हैं। कोर्ट के मुताबिक, विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर लॉकडाउन का असर पड़ सकता है, उनके लिए खास इंतज़ाम किए जाएं। इन समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले से ही व्यवस्था की जानी चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से ये बातें कहीं....
- इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आपात स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर ऑक्सीजन का बफर स्टाक तैयार करें।
- कोर्ट ने इस दौरान कहा कि इस आपात स्टाक को अलग अलग जगह रखा जाए।
- कोर्ट ने केंद्र को चार दिन के भीतर यह बफर स्टाक तैयार करने का निर्देश दिया है और कहा है कि इस बफर स्टाक में रोजाना आक्सीजन की उपलब्धता का स्तर बनाए रखा जाए।
- कोर्ट ने साफ किया है कि आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया गया आक्सीजन का यह बफर स्टाक राज्यों को आवंटित आक्सीजन के कोटे से अलग होगा।
- कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के बारे में दो सप्ताह के भीतर एक राष्ट्रीय नीति तैयार करे।
- कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य सरकारें उस नीति का पालन करेंगी।
- इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार इस बारे में राष्ट्रीय नीति बनाती है, तब तक किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में किसी भी मरीज को स्थानीय निवास या पहचान पत्र के अभाव में अस्पताल में भर्ती करने या जरूरी दवाएं देने से मना नहीं किया
जाएगा।
- इसी क्रम में कहा गया है कि केंद्र सरकार किए गए उपायों और प्रोटोकाल की समीक्षा करे। इसमें आक्सीजन की उपलब्धता, वैक्सीन की उपलब्धता और कीमत, जरूरी दवाओं की वहन योग्य कीमत भी शामिल है।
-