Monday, April 29, 2024

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अयोध्‍या केस LIVE : मंदिर हमेशा मंदिर रहता है, मूर्ति किसी की संपत्ति नहीं है, मूर्ति ही देवता हैं

अंग्वाल न्यूज डेस्क
अयोध्‍या केस LIVE : मंदिर हमेशा मंदिर रहता है, मूर्ति किसी की संपत्ति नहीं है, मूर्ति ही देवता हैं

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर जारी सुनवाई के 9वें दिन बुधवार को रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि अगर जमीन हमारी है और किसी ओर के द्वारा गैरकानूनी तौर पर कोई ढांचा खड़ा कर लिया जाता है तो जमीन उनकी नहीं हो जाती । अगर वहां पर मंदिर था और लोग वहां पूजा भी कर रहे थे तो उन्हें और कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है । उन्होंने कहा- एक मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है, संपत्ति को आप ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं । मूर्ति किसी की संपत्ति नहीं है, मूर्ति ही देवता हैं । रामलला के वकील की इन दलीलों इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आपके तर्क तो इस प्रकार हैं कि मूर्ति के स्वामित्व वाली संपत्ति अभेद है ।  अगर कोई अन्य व्यक्ति जो संपत्ति पर दावा करता है, वह इसे कब्जे में नहीं रख सकता है। ऐसे में संपत्ति ट्रासफंर वाली चीज नहीं है ।

विदित हो कि 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में जारी इस मामले की सुनवाई का बुधवार को 9वां दिन है । मंगलवार को रामलला विराजमान के वकील सीएस. वैद्यनाथन ने अदालत में अपनी दलीलें रखीं और ASI की रिपोर्ट समेत कुछ साक्ष्य अदालत के सामने पेश किए। वकील सीएस  वैद्यनाथन ने चीफ जस्टिस की बेंच के सामने अपने तर्क रखे ।  इस दौरान उन्होंने कहा कि रामलला नाबालिग हैं, ऐसे में नाबालिग की संपत्ति को ना तो बेचा जा सकता है और ना ही छीना जा सकता है ।

वकील ने अदालत के सामने अपनी दलील रखते हुए कहा कि अगर थोड़ी देर को ये मान भी लिया जाए कि वहां कोई मंदिर नहीं, कोई देवता नहीं थे, फिर भी लोगों का विश्वास है कि राम जन्मभूमि पर ही श्रीराम का जन्म हुआ था. ऐसे में वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है ।


इससे पहले मंगलवार को रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि जहां मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे एक विशाल निर्माण था । ASI की खुदाई के दौरान जो चीजें मिली, उससे स्‍पष्‍ट है कि वह हिंदू मंदिर था । बाबरी मस्जिद के नीचे जिस तरह का स्ट्रक्चर था, उसकी बनावट, उसके निर्माण के तरीके और उसमें भगवान के चिन्ह बताते हैं कि वहां पहले से मंदिर था ।  उन्‍होंने कहा कि पहले मुस्लिम पक्ष मंदिर के स्ट्रक्चर को ही मना करता था, लेकिन बाद में वो कहने लगे कि स्ट्रक्चर तो था, लेकिन वो एक इस्लामिक स्ट्रक्चर की तरह था।

रामलला के वकील ने कहा था कि संस्कृत वाले शिलालेख को विवादित ढांचा विध्वंस के समय एक पत्रकार ने गिरते हुए देखा था, इसमें साकेत के राजा गोविंद चंद्र का नाम है । साथ ही लिखा है कि ये विष्णु मंदिर में लगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या संस्कृत वाले शिलालेख जैसी चीजों को एएसआई ने इकट्ठा किया गया था? रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा था कि ये एएसआई रिपोर्ट में नहीं था, क्योंकि एएसआई काफी बाद में आई थी। वैद्यनाथन ने ASI रिपोर्ट का हवाला देते हुए मगरमच्छ, कछुओं का भी जिक्र किया और कहा था कि इनका मुस्लिम कल्चर से मतलब नहीं था। 

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