नई दिल्ली। आज देश भर में लोगों को बैंकों से जुड़े काम को निपटाने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। देना बैंक और विजया बैंक के बैंक आॅफ बड़ौदा में विलय और बैंक कर्मियों के वेतनमान में केवल 8 फीसदी वृद्धि करने के विरोध में बैंक यूनियन ने 21 और 26 दिसंबर को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। ऐसे में लोगों को नकदी संकट का सामना करना पड़ सकता है। यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के अश्विनी राणा ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को मान नहीं रही है, जिसकी वजह से यह फैसला लिया है।
गौरतलब है कि बैंककर्मियों की हड़ताल और क्रिसमस की छुट्टियों के बीच एटीम मंे नकदी संकट खड़ा हो सकता है। बता दें कि बैंक कर्मी 2 बैंकों के विलय का विरोध करने के साथ ही वेतनमान में 8 फीसदी वृद्धि करने की मांग कर रहे हैं। यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के अश्विनी राणा का कहना है कि सरकार बैंककर्मियों की मांग पर कोई विचार नहीं कर रही है जिसकी वजह से यह फैसला लिया है।
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यहां बता दें कि बैंक यूनियन 25 फीसदी वेतन वृद्धि की मांग सरकार से कर रहे हैं। सरकार की ज्यादातर योजनाओं को बैंक द्वारा ही लागू किया जाता है। उनका कहना है कि सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में अच्छा इजाफा किया है, वहीं बैंक कर्मचारियों के वेतनमान में मामूली वृद्धि की गई है। देश भर में करीब 10 लाख सरकारी बैंक कर्मचारी हैं। बैंककर्मियों ने देना बैंक और विजया बैंक के बैंक आॅफ बड़ौदा में विलय को भी गलत बताया है। उनका कहना है कि बैंकों की सबसे बड़ी समस्या नॉन परफार्मिंग एसेट (एनपीए) की है। ऐसे में बैंकों के विलय से समस्या सुलझ नहीं सकती है।