पटना। मोदी सरकार के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने के लिए बिहार प्रशासन ने एक अजीबो-गरीब फैसला जारी किया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए बिहार प्रशासन की ओर से शिक्षकों की टीम बनाकर उन्हें लोगों को समझाने के काम में लगाया गया था, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिलने पर औरंगाबाद जिला प्रशासन ने क्षेत्र में खुले में शौच नहीं करने के बावजूद नहीं मानने वाले लोगों की फोटोग्राफी का जिम्मा भी इन शिक्षकों को दे डाला था, जिसका शिक्षक संघ ने विरोध किया है। टीचरों का कहना है कि प्रशासन के इस तरह के फरमान टीचरों की गरीमा को कम करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा को भी खतरा रहता है।
बता दें कि बिहार के औरंगाबाद जिला प्रशासन ने देव ब्लॉक की पवई पंचायत को इसी साल 31 दिसंबर तक खुले में शौच मुक्त पंचायत बनाने का लक्ष्य तय किया। इस काम के लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए प्रशासन ने 61 प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों के करीब 144 टीचरों को इस अभियान से जोड़ा गया। इन शिक्षकों ने लोगों को खुले में शौच नहीं करने के लिए समझाया भी, लेकिन इस सब के बावजूद जब लोग नहीं माने तो प्रशासन ने यह फैसला किया कि ऐसे लोगोंकी फोटोग्राफी कराई जाए। इस काम का जिम्मा भी प्रशासन के इन शिक्षकों को दिया। लेकिन ऐसी सूरत में शिक्षकों ने खुद को इस अभियान से अलग कर दिया।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ (बीएमएसएस) का कहना है कि टीचर एसोसिएशन शुरू से ही ओडीएफ (ODF) में सरकार और प्रशासन के साथ है। टीचरों को इस अभियान में प्रशासन द्वारा दिए निर्देशों को पालन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। टीचरों का कहना है कि प्रशासन के इस तरह के फरमान टीचरों की गरीमा को कम करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा को भी खतरा रहता है।
बीएमएसएस के महासचिव तथा पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने प्रशासन के इस फरमान को वापस लेने के लिए कहा है।
बता दें कि गत 18 नवंबर को कुडनी बीडीओ हरीमोहन कुमार ने एक फरमान जारी किया, जिसमें कहा गया कि सभी शिक्षक शहर और गांवों में सुबह 6 से 7 बजे और शाम को 5 से 6 बजे दौरा करें और खुले शौच करते हुए लोगों को रोकें तथा उनके फोटो खींचें।