नई दिल्ली । कर्नाटक में सीएम कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी और मायावती के बीच बढ़ती सियासी नजदीकियों का यह फोटो याद है न। बस, अब इस फोटो की तरह की इन दिनों कांग्रेस और बसपा में भी नजदीकियां देखी जा रही हैं। पिछले कुछ समय में इन नजदीकियों की वजह से समाजवादी पार्टी के नेता परेशान हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को कांग्रेस और मायावती के बीच कम होती दूरियां खल रही है। अखिलेश हर हाल में यूपी में बसपा के साथ गठबंधन चाहते हैं, जबकि वह पिछले विधानसभा चुनावों में हार का कारण सपा कांग्रेस को ही मानती है। इसलिए उसे गठबंधन से दूर रहना चाहती है। लेकिन मौजूदा सियासी हालात में वह इस गठबंधन को लेकर काफी दबाव में हैं। यही कारण है कि उनहें बसपा की जूनियर पार्टी बनने से भी कोई गुरेज नहीं।
सपा नहीं चाहती कांग्रेस को गठबंधन में
अब एक ओर जहां कांग्रेस और बसपा के नेताओं के बीच करीबी बढ़ रही है, वहीं अखिलेश यादव को ये नजदीकियां रास नहीं आ रहीं। पिछले दिनों ही समाजपार्टी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि वह बसपा के साथ गठबंधन के लिए 2-4 सीटें कम लेने को भी तैयार हैं। वहीं सपा कांग्रेस को इस गठबंधन का हिस्सा बनानी की इच्छुक नहीं है। वह कांग्रेस को जनाधार हीन पार्टी मानने लगी है, जिसके चलते उनका इस गठबंधन से अलग रहना ही सबके लिए फायदेमंद होगा।
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अखिलेश नहीं पहुंचे कांग्रेस के इफ्तार में
हालिया घटनाक्रम से यह बात तो साबित हो गई है कि समाजवादी पार्टी में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले धुरविरोधी बसपा के साथ गठबंधन के लिए अखिलेश के बयान, उसके बाद अपनी सीटों को लेकर की घोषणाएं और बाद में पत्नी को चुनाव नहीं लड़ाने की बात। इन घटनाक्रमों ने संकेत दिए हैं कि समाजवादी पार्टी इन दिनों दबाव में है। कांग्रेस के साथ बसपा की नजदीकियां इसका एक बड़ा कारण हो सकता है। इस सब के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दी गई इफ्तार पार्टी में समाजवादी पार्टी का कोई नुमाइंदा नहीं आया । हालांकि इससे पहले उन्होंने ऐलान किया था कि वो कांग्रेस की इफ्तार पार्टी में जरूर जाएंगे, जहां महागठबंधन के सभी दल शामिल होंगे।
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सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव में
इस समय अखिलेश यादव खुद को पार्टी अध्यक्ष घोषित किए जाने के बाद पार्टी के गिरते ग्राफ से जहां परेशान हैं, वहीं आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर सीटों के बंटवारे को लेकर भी दबाव में हैं। सपा अब कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करना चाहती, वहीं उपचुनावों में बसपा के साथ गठबंधन के चलते मिली जीत के चलते वे मायावती से समझौता कर चुके हैं। सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच कुछ बातें हुई हैं, लेकिन अखिलेश इस मुद्दे को लेकर दबाव में हैं।
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बसपा-कांग्रेस में यूं बढ़ रही नजदीकियां
असल में आगामी मध्य प्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस और बसपा के नेताओं के बीच काफी चर्चा हुई है। ऐसे में यूपी में कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रख बसपा के साथ गठबंधन का ऐलान करने वाले अखिलेश यादव खुद को इन राज्यों में किनारे होते देख रहे हैं। इस सब के चलते ही समाजवादी पार्टी की ओर से मध्य प्रदेश में अकेले सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया गया है।
मायावती नहीं खोल रहीं पत्ते, बनाए हुए हैं दबाव
इस सब के बीच बसपा प्रमुख मायावती अपने पत्ते खोलने को अभी तैयार नहीं हैं। वह जहां यूपी में सपा को दबाव में बनाए हुए हैं, वहीं अन्य राज्यों में कांग्रेस को भी अपने पीछे लगाए हुए है। इससे अखिलेश यादव घबराए हुए हैं। उन्हें आशंका सता रही है कि कहीं ज्यादा सीटों का प्रस्ताव मिलने पर वह सपा का साथ छोड़कर यूपी में भी कांग्रेस के साथ ही लोकसभा चुनावों की तैयारी में न जुट जाए। हालांकि अभी ये सब कयास हैं, लेकिन मायावती अभी पत्तों को दबाए बैठीं हैं।
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