नई दिल्लीः बोर्ड के रिजल्ट में कमजोर छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने का मामला गर्मा गया है। सीबीएसई ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि इससे सीबीएसई का 12वीं का रिजल्ट भी लेट हो सकता है। अब रिजल्ट 30 या 31 मई तक आने की उम्मीद है। पहले रिजल्ट मई के तीसरे हफ्ते में ही आने की उम्मीद थी। मॉडरेशन पॉलिसी पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीएसई इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा।
मानव संसाधन मंत्रालय का कड़ा रुख
मॉडरेशन पॉलिसी को लेकर यह सारा विवाद है। इस मामले पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कड़ा रुख अपना लिया है। इसी मुद्दे पर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडे़कर की अध्यक्षता में बुधवार को एक हाई लेवल बैठक हुई। यही नहीं, मामले पर कानूनी राय भी ली गई है। इसी के बाद फैसला किया गया कि सीबीएसई सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर करेगा। सीबीएसई के इस रुख के कारण 12वीं का रिजल्ट लेट हो सकता है। अब यह रिजल्ट 30 या 31 मई को आ सकता है। रिजल्ट को लेकर पूरी तरह से स्थिति सीबीएसई की याचिका पर सुप्रीम कोर्टके रुख से ही साफ होगी।
ग्रेस मार्क्स का नहीं, स्पाइकिंग मार्क्स का विरोध
इस मुद्दे पर प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि हम ग्रेस मार्क्स का विरोध नहीं कर रहे हैं। इससे फेल छात्रों को पास होने का मौका मिलता है। हम मॉडरेशन पॉलिसी के तहत कठिन प्रश्न पत्र आने पर छात्रों को अतिरिक्त अंक देने पर भी ऐतराज नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम दरअसल हम स्पाइकिंग मॉर्क्स का विरोध कर रहे हैं। मॉडरेशन पॉलिसी के नाम पर कुछ स्टेट बोर्ड स्पाइकिंग मॉर्क्स देते हैं औऱ इस तरह से अपना रिजल्ट सौ फीसदी तक ले जाते हैं। इससे यूनिवर्सिटी लेवल पर एडमिशन का कटआफ बहुत हाई हो जाता है जिससे दूसरे बोर्ड के स्टूडेंट्स को दिक्कत होती है। बता दें कि हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य छह राज्यों ने मॉडरेशन पॉलिसी की आड़ में अत्यधिक अंक देने की प्रथा खत्म कर 14 से 3 फीसदी तक गिरावट के साथ रिजल्ट जारी किया है। ऐसे में उन छह राज्यों के छात्रों को अब ग्रेजुएशन में दाखिले की दिक्कत आएगी।