नई दिल्लीः रियल एस्टेट सेक्टर पर जीएसटी के प्रभाव को लेकर असमंजस बरकरार है। जीएसटी से मकान खरीदने वालों को फायदा होगा या नहीं, इस पर स्थिति बहुत क्लियर नहीं हो सकी है। रियल एस्टेट सेक्टर के दो दिग्गज संगठनों ने इस पर परस्पर विरोधी राय व्यक्त करके मामले को और उलझा दिया है। एक तरफ नेशल रीयल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) ने रीयल एस्टेट क्षेत्र पर 12 प्रतिशत कर लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि मकान की कीमतों पर दबाव नहीं पड़ेगा। वहीं रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन क्रेडाई ने कहा है कि खरीदारों पर बोझ पड़ेगा और उसने राज्य सरकारों से जीएसटी लागू होने पर अचल संपत्ति पर स्टांप ड्यटी खत्म करने की अपील की है।
नारडेको ने बताया फायदेमंद
क्रेडाई ने यह भी कहा है कि एक जुलाई से जीएसटी शुरू होने पर जब तक सरकार जमीन पर एबेटमेंट (छूट) नहीं उपलब्ध कराती, खरीदारों पर लागत बढ़ेगी। नारेडको और क्रेडाई के अलग-अलग आंकलन से क्षेत्र में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में भ्रम की स्थिति बन गई है। नारेडको ने कहा कि जीएसटी के तहत वास्तविक कर प्रभाव मौजूदा स्तर पर या उससे कम होगा। फिलहाल क्षेत्र पर जो कई अप्रत्यक्ष कर लगते हैं, उससे मुक्ति मिलेगी। जीएसटी परिषद ने खरीदारों को बेचने के लिये परिसर या इमारत के निर्माण पर 12 प्रतिशत कर का प्रस्ताव किया है। क्षेत्र पर मौजूदा अप्रत्यक्ष कर की दर भी 9 से 11 प्रतिशत के बीच है। इसमें सेवा कर और वैट शामिल हैं।
क्रेडाई बोली, खरीदारों पर बोझ
दूसरी तरफ, क्रेडाई के अध्यक्ष जे शाह ने एक बयान में कहा, स्टांप ड्यूटी के कारण अचल संपत्ति के मूल्य का रीयल एस्टेट पर अतिरिक्त बोझ 5 से 8 प्रतिशत के बीच होगा। जब तक जमीन पर एबेटमेंट नहीं दी जाती है, ग्राहकों की लागत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि दूसरे क्षेत्रों में जीएसटी कुल अप्रत्यक्ष कर देनदारी है, लेकिन रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिसे ऐसा नहीं है क्योंकि जीएसटी व्यवस्था बहुकर की व्यवस्था को समाप्त नहीं करती।