नई दिल्ली । लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली हार के बाद एक बार फिर से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा एक्शन मोड़ में आ गए हैं । राहुल गांधी ने चुनावों में मिली हार की समीक्षा रिपोर्ट मांगी है, जिसकी जिम्मेदारी प्रियंका गांधी वाड्रा को सौंपी गई है । प्रियंका गांधी खुद यह रिपोर्ट तैयार करेंगी और इसे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को देंगी । इसके साथ ही प्रियंका ने विभिन्न कांग्रेसी नेताओं के साथ बैठक की योजना बनाई है, जिसमें वह हार के कारणों पर मंथन करने के साथ ही एक रिपोर्ट तैयार करेंगीं।
संगठन और कार्यशैली में होंगे बदलाव
लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद राहुल गांधी द्वारा CWC की बैठक में अपने इस्तीफे की पेशकश के साथ ही उन्होंने कई पार्टी नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे । उन्होंने कई नेताओं पर आरोप लगाते हुए उन्हें परिजनों को चुनाव जितवाने में व्यस्त बताया और पार्टी की ओर बिल्कुल ध्यान न देने की बात कही थी । इसके बाद राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा न देने के लिए कई दिग्गज कांग्रेसियों ने मनाना शुरू किया । कहा गया कि राहुल गांधी अब पार्टी को जैसा चलाना चाहते हैं चलाएं , लेकिन पद ना छोड़े । इस सब के बाद अब पार्टी की ओर से संकेत मिल रहे हैं, कि जल्द ही राहुल गांधी संगठन में बड़े बदलाव के साथ ही अपनी पार्टी की कार्यशैली में भी कई बदलाव करने की रणनीति बना रहे हैं।
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प्रियंका को समीक्षा रिपोर्ट की जिम्मेदारी
चुनावों में हार के कारणों का पता लगाने के लिए राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को एक समीक्षा रिपोर्ट बनाने को कहा है । इसके तहत प्रियंका खुद अलग अलग राज्यों में जाकर वहां कांग्रेसी नेताओं से बातचीत करेंगी । सूत्रों का कहना है कि वह राज्य में बड़े कांग्रेसी नेताओं के साथ ही जिलाध्यक्षों और पार्टी कार्यकर्ताओं से भी इस मुद्दे पर बात कर सकती हैं। इसके बाद वह खुद एक समीक्षा रिपोर्ट तैयार करेंगी , जिसे वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पेश करेंगी ।
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कांग्रेस के सामने कई चुनौतियां
इस सब के बीच कांग्रेस के सामने कई नई के साथ पुरानी चुनौतियां भी हैं, जिससे उन्हें पार पाना होगा । मध्य प्रदेश , कर्नाटक ऐसे राज्य हैं, जहां कहने को कांग्रेस की सरकार तो है , लेकिन वहां कांग्रेस के कई विधायक बागी तेवर दिखा चुके हैं । भाजपा भी इन राज्यों पर अपनी निगाह लगाए बैठी है । मौका लगते ही राज्यों में लगभग बराबर की स्थिति पर खड़ी भाजपा अपनी सरकार बनाने का दावा भी ठोक सकती है । इतना ही नहीं आने वाले समय में दिल्ली - महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यहां कांग्रेस के लिए अपनी साख बचाए रखना एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए वह जल्द से जल्द तैयारियों में जुट जाना चाहती है।