नई दिल्ली । केंद्र में मोदी सरकार और देश में भाजपा और एनडीए की राज्य सरकारों के बढ़ते आंकड़े पर अंकुश लगाने के लिए यूपीए की चेयरपर्सेन और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 'डिनर डिप्लोमेसी' के लिए अहम रणनीति बनाई है। सोनिया गांधी ने एक बार फिर क्षेत्रिय दलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन दलों की मदद से मोदी के मिशन 2019 का मुकाबलना करने की रणनीति बनाई है। एनडीए के विरोध में पूरे विपक्ष को एक साथ खड़ा करने के लिए जिस डिनर डिप्लोमेसी को सोनिया गांधी अंजाम दे रही है, उसमें मंगलवार को 17 विपक्षी क्षेत्रीय दलों के नेताओं के पहुंचने की संभावना है। हालांकि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अभी तक शामिल होने पर हामी नहीं भरी है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत अभियान को मिल रही सफलता पर अंकुश लगाने के लिए यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने एक रणनीति बनाई है। एक बार फिर सोनिया गांधी समय को दोहराते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ सभी क्षेत्रिय दलों को एक जुट करने की जुगत में लग गई है। ऐसे में सोनिया की डिनर डिप्लोमेसी में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा के नेता बाबूलाल मरांडी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी बैठक में पहुंचेंगे । मांझी ने हाल ही में एनडीए का साथ छोड़कर लालू प्रसाद के साथ हाथ मिलाया है। लालू प्रसाद के बेटे और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के पहुंचने की भी संभावना है।
हालांकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आंध्रप्रदेश की सत्तारुढ़ तेलुगू देशम पार्टी (TDP), भाजपा और टीआरएस के नेताओं को इसके लिए निमंत्रण नहीं भेजा गया था। टीडीपी ने हाल ही में अपने मंत्रियों को नरेंद्र मोदी सरकार से हटा लिया है, लेकिन वो एनडीए का घटक बनी हुई है। तृणमूल के सुदीप बंदोपाध्याय, डीएमके की कनिमोई, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, केरल कंग्रेस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी और आरएलडी के नेताओं के हिस्सा लेने की संभावना है।