नई दिल्ली। देश में लाखों की संख्या में मौजूद अनाथ बच्चों को भी आरक्षण की सुविधा मिल सकती है। नोएडा की रहने वाली पौलोमी पाविनी शुक्ला ने इन बच्चों के लिए आरक्षण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता पौलोमी ने इस बात का दावा किया है कि देश में पहली बार अनाथ बच्चों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि देश में अनाथ बच्चों की संख्या श्रीलंका की कुल आबादी के करीब बराबर है।
गौरतलब है कि पौलोमी ने अपनी याचिका में कहा कि भारत में अनाथ बच्चों को लेकर अब तक कोई सर्वे नहीं कराया गया है। भारत में अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के लिए आरक्षण की व्यवस्था है जबकि अनाथ बच्चों के लिए इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें पढ़ाई के लिए न तो स्काॅलरशिप ही मिलती है और न ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मुफ्त में कोचिंग की सुविधा मिलती है।
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यहां बता दें कि याचिकाकर्ता पौलोमी ने कहा कि बैंकों से अनाथ बच्चों को कम ब्याज पर लोन देने की भी कोई सुविधा नहीं है जबकि एससी-एसटी एवं ओबीसी के बच्चों को यह सुविधा प्राप्त है। शिक्षण संस्थानों व नौकरियों में भी उनको आरक्षण नहीं मिला है। अनाथ बच्चों के लिए काम करने वाली पौलोमी ने कहा कि पूरे देश में करीब 117 जिले ऐसे हैं जहां एक भी अनाथालय नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद सरकार ने बाल सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये का बजट पास किया है लेकिन अनाथ बच्चों के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद केंद्र और राज्य सरकार से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है।