Monday, April 29, 2024

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LIVE - मोदी 'सुनामी' में विपक्षी दलों के गठबंधन उड़े , जनता ने जातिवाद- क्षेत्रवाद और महामिलावटी दलों को किया खारिज

दीपक गौड़
LIVE - मोदी

नई दिल्ली । लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान कई बार कहा गया कि इस बार मोदी आंधी नहीं बल्कि 'मोदी सुनामी' आएगी , जिसमें विपक्ष पूरी तरह से ढेर हो जाएगा । अब चुनावों के रूझान करीबन नतीजों की ओर बढ़ने जा रहे हैं, जिसमें भाजपा और एनडीए को प्रचंड बहुमत मिलता नजर आ रहा है । इस बार के चुनावों में जनता ने जहां जातिवाद - क्षेत्रवाद को खारिज कर दिया । वहीं एक समय धुरविरोधी रहे दलों के मोदी को रोकने के लिए बनाए गए गठबंधन को भी जनता ने कई राज्यों में खारिज कर दिया । यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर जहां सपा-बसपा गठबंधन द्वारा भाजपा को बड़ा झटका देने के दावे किए जा रहे थे, उन दावों पर जनता ने चोट करते हुए साफ कर दिया है कि अब देश में 'डिवाइड एंड रूल ' की नीति नहीं बल्कि   'यूनाइटेड एंड रूल' की नीति को प्राथमिकता मिलेगी ।

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जनता ने खारिज किया सपा-बसपा-रालोद गठबंधन

लोकसभा चुनावों को लेकर एकजुट हुए धुरविरोधी सपा-बसपा ने रालोद को साथ लेते हुए यूपी में गठबंधन बनाया । इन दलों ने प्रमुखों ने अपने पुराने गतिरोधों को खत्म करने की बात कहते हुए मोदी को रोकने के लिए गठबंधन जरूरी बताया था । इन नेताओं ने अपने सिर मिलाते हुए गठबंधन तो कर दिया , लेकिन न तो इन दलों के कार्यकर्ताओं के दिल मिले थे न शरीर , ऐसे में ऊपर से जो संदेश मिला वो नीचे तक गया ही नहीं । पार्टी के कुछ नेता अपने कार्यकर्ताओं को सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने का आह्वान करते रहे, लेकिन इन पार्टियों के वोट बैंक ने इनकी बातों पर ध्यान देने के बजाए राष्ट्रवाद और सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र पर विश्वास जताया । यही कारण है कि एक समय भाजपा जहां खुद यूपी में अपने खराब प्रदर्शन को लेकर आशंकित थी , उसने गठबंधन बनने के बाद राहत की सांस ली। बहरहाल, अभी आ रहे रूझानों के मुताबिक यूपी की 80 सीटों में से भाजपा को 57 सीटों पर बढ़त मिली है , जबकि गठबंधन को 22 सीटों पर बढ़त है ।

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कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस भी ढेर


इसी क्रम में कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस समेत अन्य दलों के गठबंधन को भी जनता ने खारिज कर दिया । राज्य के विधानसभा चुनावों में जिस तरह धुरविरोधी कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन करते हुए भाजपा को रोकने की कवायद की थी, वह गठबंधन उन्होंने लोकसभा चुनावों के दौरान भी जारी रखा । हालांकि इस बार उन्हें करार झटका लगा है । कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से इस बार भी भाजपा को 23 सीटें मिलती नजर आ रही हैं, जो पिछली बार से 6 ज्यादा हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन को मात्र 4 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। असल में कर्नाटक में कुल 28 लोकसभा सीटें (Karnataka Lok Sabha Seats) हैं, जिनमें से 5 सीटें अनुसूचित जाति और 2 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं । कर्नाटक को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है लेकिन साल 2007 में भाजपा को जीत दिलाकर दक्षिणी राज्यों में उसका प्रवेश कराया गया था।

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बिहार में भी महागठबंधन की हवा निकली

अगर बात देश की राजनीति के लिए एक अन्य बड़े राज्य बिहार की बात करें तो यहां भी जातिगत और क्षेत्रवाद की राजनीति का आधार खिसकता नजर आ रहा है । जनता ने जातिवादी राजनीति को झटका देते हुए सबका साथ सबका विकास के मूल मंत्र को ध्यान में रखते हुए भाजपा को अपना वोट दिया है । अपनी हार देखते हुए बिहार में तो कुछ नेताओं ने सड़कों पर खून खराबा करने तक की धमकी दे डाली , जो उनकी हार और हताशा को दर्शाता है । बिहार की 40 सीटों में से इस बार 38 सीटें भाजपा-जदयू को मिलती दिख रही है । मात्र दो सीटें राजद के खाते में नजर आ रही है । इसके अलावा कांग्रेस समेत रालोसपा और अन्य छोटे दलों को जनता ने करारी चोट मारी है ।

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