Sunday, May 19, 2024

Breaking News

   एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर SC 8 मई को करेगा सुनवाई     ||   यूक्रेन से युद्ध में दिसंबर से अब तक रूस के 20000 से ज्यादा लड़ाके मारे गए: अमेरिका     ||   IPL: मैच के बाद भिड़ गए थे गौतम गंभीर और विराट कोहली, लगा 100% मैच फी का जुर्माना     ||   पंजाब में 15 जुलाई तक सरकारी कार्यालयों में सुबह 7:30 बजे से दोपहर दो बजे तक होगा काम     ||   गैंगस्टर टिल्लू की लोहे की रोड और सूए से हत्या, गोगी गैंग के 4 बदमाशों ने किया हमला     ||   सुप्रीम कोर्ट ने 'द केरल स्टोरी' पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर तुरंत सुनवाई से किया इनकार     ||   नीतीश कटारा हत्याकांड: SC में नियमित पैरोल की मांग करने वाली विशाल यादव की याचिका खारिज     ||   'मैंने सिर्फ इस्तीफा दिया है, बाकी काम करता रहूंगा' नेताओं के मनाने पर बोले शरद पवार     ||   सोनिया गांधी दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती    ||   कर्नाटक हिजाब केस में SC ने तुरंत सुनवाई से इंकार किया    ||

LIVE: विवाहेत्तर संबंध अब अपराध नहीं, बन सकता है तलाक का आधार- सुप्रीम कोर्ट

अंग्वाल न्यूज डेस्क
LIVE: विवाहेत्तर संबंध अब अपराध नहीं, बन सकता है तलाक का आधार- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एडल्टरी को लेकर गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि एडल्टरी तलाक का आधार बन सकता है लेकिन इसे अपराध नहीं माना जा सकता है। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि महिला की गरिमा सबसे ऊपर है। पति उसका मालिक नहीं है। धारा 497 पुरुषों को मनमानी का अधिकार देने वाली है। ऐसे में 5 जजों की बेंच ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहेत्तर संबंध कोई अपराध नहीं है। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट केवल पुरुष को दोषी मानने वाले भारतीय दंड संहिता के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर यह फैसला सुनाया है। गौर करने वाली बात है कि इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने 8 अगस्त को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

ये भी पढ़ें - आतंकी ‘आका’ का दिल्ली में टेरर फंडिंग कनेक्शन, एनआईए ने 3 लोगों को किया गिरफ्तार


यहां बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के अलावा पीठ में जस्टिस आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा भी शामिल हैं। गौर करने वाली बात है कि 158 साल पुरानी दंड संहिता की धारा 497 में विवाहेत्तर संबंधों को अपराध माना गया है और विवाहेत्तर संबंध रखने के लिए पुरुषों काक ही जिम्मेदार बताया है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रथा काफी पुरानी हो चुकी है अब इसमें बदलाव की जरूरत है। 

आपको बता दें कि कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवाहेत्तर संबंध को अपराध नहीं माना जाना चाहिए लेकिन यह व्यभिचार माना जाएगा। इस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह कानून लैंगिक समानता की अवधारणा के खिलाफ है।

Todays Beets: