नई दिल्लीः बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, कल्याण सिंह और मुरली मनोहर जोशी समेत कई अन्य को दो हफ्ते की राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार सुबह मामले की सुनवाई करते हुए सभी पक्षों से लिखिक हलफनामा देने को कहा है। अब मामले की सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी। बता दें कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी-वीएचपी लीडर्स के शामिल होने के मामले की सुनवाई चल रही है। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती व कल्याण सिंह सहित 13 नेता आरोपी हैं।
आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने पर आना है फैसला
इन सभी बीजेपी नेताओं पर बाबरी विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश रचने का मुकदमा चलाने या न चलाने के बारे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला आना है। पिछली सुनवाई में माननीय उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि टेक्निकल ग्राउंड पर इन लोगों को राहत नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई से भी पूछा है कि इनके खिलाफ पूरक आरोपपत्र क्यों नहीं दाखिल किया गया। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने की धारा 120बी हटा दी थी। खबरों के मुताबिक बीजेपी नेताओं की ओर से पेश वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि मामले को 4 हफ्ते बाद लिस्टेड किया जाना चाहिए ताकि वह कुछ डॉक्युमेंट्स फाइल कर सकें।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया था और कहा था कि टेक्निकल ग्राउंड पर किसी को राहत नहीं दी जा सकती है। इस मामले की सुनवाई दो अलग-अलग अदालतों में चलाने के बजाए एक ही जगह क्यों न की जाए। कोर्ट ने कहा कि रायबरेली में चल रही सुनवाई को लखनऊ ट्रांसफर क्यों न कर दिया जाए क्योंकि इससे जुड़ा का एक मामला पहले ही वहां पर चल रहा है।
धारा 120बी हटा दी गई थी
बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद यूपी के सीएम रहे कल्याण सिंह, आडवाणी, जोशी, उमा समेत बीजेपी-वीएचपी के 13 लीडर्स पर आपराधिक साजिश रचने की धारा 120बी का केस दर्ज किया गया था। हालांकि रायबरेली की लोअर कोर्ट ने सभी पर से ये आरोप हटाने का ऑर्डर दिया था। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।