नई दिल्ली । लोकसभा में शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल सदन में पेश किया । इस दौरान उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी से प्रभावित होते हैं । उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए । उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा से लगे लोगों को जो 3 फीसदी आरक्षण है इसके अदंर अतंरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक रहने वालों को भी 3 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए । ये आरक्षण किसी को खुश करने के लिए नहीं लेकिन मानवता के आधार पर उनकी समस्या को देखते हुए आरक्षण दिया जाना चाहिए। इतना ही नहीं इस दौरान अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में लगे राष्ट्रपति शासन को 6 महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव सदन में रखा । लेकिन कांग्रेस समेत कुछ दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया ।
मोदी सरकार ने सबको अधिकार देने का काम किया
जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे से लौटे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा - केंद्र की मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में सबका साथ सबका विकास मंत्र के तहत काम किया है । मोदी सरकार ने सबको अधिकार देने का काम किया है । उन्होंने कहा पहली बार जम्मू कश्मीर की जनता महसूस कर रही है कि जम्मू और लद्दाख भी राज्य का हिस्सा है । सबको अधिकार देने का काम मोदी सरकार ने किया है । उन्होंने कहा कि हमारे लिए सीमा पर रहने वाले लोगों की जान कीमती है और इसलिए सीमा पर बंकर बनाने का फैसला हुआ है । शाह ने कहा कि कश्मीर में लोकतंत्र बहाल रहे ये भाजपा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है । आतंकवाद के खात्मे की कार्रवाई भी की जा रही है । उन्होंने सदन से अपील करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के प्रस्ताव का समर्थन करें ।
घाटी में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई
अमित शाह ने इस दौरान कहा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति शासन के दौरान जम्मू कश्मीर में एक साल की अवधि में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई गई है। एक साल के अंदर आतंकवाद की जड़ों को हिलाने के लिए इस सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है । पहले वहां कई साल तक पंचायत चुनाव नहीं कराए जाते थे लेकिन यही एक साल के अंदर वहां शांतिपूर्ण पंचायत चुनाव कराए गए हैं । भाजपा की सरकार ने वहां की पंचायतों को पैसा देने का काम किया है । उन्होंने कहा कि 40 हजार पदों के लिए वहां चुनाव हुआ और एक भी जान नहीं गई । इस बार वहां मत प्रतिशत बढ़ा और हिंसा भी नहीं हुई । कानून व्यवस्था सरकार के नियंत्रण में है, यह इसका उदाहरण है ।
साल के अंत में होंगे चुनाव
अमित शाह ने इस दौरान कहा कि चुनाव आयोग इस साल के आखिर में चुनाव कराने पर फैसला करेंगा। इस बारे में सूचित कर दिया जाएगा। पीछे गृह मंत्री ने कहा कि रमजान का पवित्र महीना था, अब अमरनाथ यात्रा होनी है, इस वजह से चुनाव कराने इस दौरान मुमकिन नहीं था । इस साल के अंत में चुनाव कराने का फैसला लिया गया । शाह ने कहा कि वहां राष्ट्रपति शासन बढ़ाना जरूरी हो गया है और इस दौरान वहां चुनाव हो जाएगा ।
कांग्रेस ने जताया विरोध
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार कहती है कि उसने लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक करवाए हैं तो इसी के साथ विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवा दिए । उन्होंने कहा कि गृहमंत्री ने राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने का जो प्रस्ताव रखा है हमें उसपर आपत्ति है । वहीं आरक्षण विधेयक के मुद्दे पर हमें आपत्ति ये है कि ये जम्मू कश्मीर विधानसभा के अंतर्गत आने वाला मुद्दा है । हमें आरक्षण दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं लेकिन आरक्षण दिए जाने के तरीके से है । वहीं आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध किया । साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोग काफी लंबे वक्त से आरक्षण की मांग कर रहे थे लेकिन अब चुनावी फायदा होने के बाद उन्हें यह आरक्षण दिया जा रहा है । प्रेमचंद्रन ने कहा कि राजनीतिक फायदे के लिए अब यह बिल लाया गया है और इसका विरोध करता हूं । उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ कश्मीर में विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए गए, वह चुनाव भी शांतिपूर्ण तरीके से हो जाते ।