नई दिल्ली। भारत ने जमीनी सुरक्षा के मामले में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। सोमवार को सेना ने ओडिशा की चांदीपुर एकीकृत टेस्ट रेंज से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का पहला सफल परीक्षण किया है। परीक्षण का उद्देश्य इस मिसाइल की कार्यअवधि को 10 से 15 वर्षों तक बढ़ाना था। यह भारत-रूस के साझा उपक्रम से तैयार किया गया है। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आॅर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की खबरों के अनुसार मोबाइल लाॅन्चर से इन मिसाइलों का परीक्षण किया गया।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सफल परीक्षण पर डीआरडीओ को बधाई दी है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारी बताया कि ‘ब्रह्मोस मिसाइल के जीवन को बढ़ाने की प्रौद्योगिकियां पहली बार भारत में विकसित की गई हैं।’ यहां बता दें कि ब्रह्मोस पहली भारतीय मिसाइल है जिसकी कार्यअवधि 10 से 15 साल तक बढ़ा दी गई है। रक्षामंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल के सफल परीक्षण से ‘भारतीय सशस्त्र बलों की सूची में शामिल मिसाइलों की प्रतिस्थापन लागत में भारी बचत होगी।’ गौर करने वाल बात है कि भारतीय सेना के तीनों अंगों ने ब्रह्मोस की तीन रेजिमेंटों को पहले ही अपने बेड़े मंे शामिल कर लिया है। ये आधुनिक मिसाइल भारतीय के ब्लाॅक के संस्करण-iii से लैस हैं।
ये भी पढ़ें - कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार के इस्तीफे के बाद कांग्रेस पर बरसे भाजपाध्यक्ष- कहा, कांग्रेस न...
यहां यह भी बता दें कि भारतीय सेना में ब्रह्मोस के जमीनी हमले करने वाला संस्करण 2007 से ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार इसे चला देने के बाद यह खुद ही ऊपर-नीचे जमीनी लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखता है।