नई दिल्ली।
भारत का इस समय चीन और पाकिस्तान से भारी तनाव चल रहा है। सिक्किम में सीमा पर हालात ऐसे हैं कि जंग छिड़ने के आसार नजर आ रहे हैं। ऐसे में सेना के पास गोला—बारूद की उपलब्धता के बारे में नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक(कैग) की रिपोर्ट चिंतित करने वाली है। कैग के अनुसार, सेना के पास गोला—बारूद की भारी कमी है। अगर जंग छिड़ती है, तो भारतीय सेना के पास इतना भी गोला—बारूद नहीं है कि वह 10 दिन भी मुकाबला कर सके।
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कैग ने शुक्रवार को संसद में अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य मुख्यालय ने 2009-13 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरुआत की, उनमें अधिकतर जनवरी 2017 तक लंबित थे। ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के कामकाज पर रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013 से ओएफबी की ओर से आपूर्ति किए जाने वाले गोला-बारूद की गुणवत्ता और मात्रा में कमी पर ध्यान दिलाया गया, लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।
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गोला-बारूद डिपो की सुरक्षा को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि दमकलकर्मियों और उपकरणों की कमी से हादसे का खतरा बना रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी में सेना के गोला-बारूद प्रबंधन का फॉलोअप ऑडिट किया गया। बताया गया है कि ऑपरेशन की अवधि की जरूरतों के हिसाब से सेना में वॉर वेस्टेज रिजर्व रखा जाता है। रक्षा मंत्रालय ने 40 दिन की अवधि के लिए इस रिजर्व को मंजूरी दी थी। वहीं सितंबर 2016 में पाया गया कि सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 फीसदी गोला बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना के पास मौजूद 152 तरह के गोला-बारूद में से सिर्फ 20 फीसदी को ही संतोषजनक माना गया है। बता दें कि पहले सेना के पास 40 दिनों के सघन युद्ध के लिए गोलाबारूद अपने वार वेस्टेज (डब्लू डब्लू आर) में रखना होता था। इसे साल 1999 में घटा कर 20 दिन कर दिया गया। नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास 20 दिन के लिए पर्याप्त हथियार नहीं है।