नई दिल्ली। भारतीय सेना की रक्षा तकनीक जल्द ही और ज्यादा मजबूत होने वाली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वायुसेना की तकनीक को और अधिक विकसित करने के लिए सैन्य सेटेलाइट भेजने की तैयारी कर रहा है। इस सेटेलाइट के लाॅन्च होने के बाद वायुसेना को अपनी समुद्री सीमाओं के साथ पड़ोसी देशों की हरकतों पर भी नजर रखी जा सकेगी। बता दें कि इसरो की तरफ से जीसैट 7ए को इसी साल सितंबर के महीने में लाॅन्च किया जाएगा। इसके बाद से पड़ोसी देशों को भी भारत की ओर नजरें उठाने से पहले एक बार जरूर सोचना पड़ेगा।
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना के लिए लाॅन्च की जाने वाली इस सेटेलाइट जीसैट-7ए को जीएसएलवी एमके2 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। यह सेटेलाइट वायुसेना को विभिन्न ग्राउंड रडार स्टेशनों, एयरबेस और एडब्ल्यबएसीएस एयरक्राफ्ट्स को इंटरलिंक करने की सुविधा प्रदान करेगा। इससे वायुसेना की नेटवर्क केंद्रित लड़ाई और इसके वैश्विक परिचालन में मदद करेगा।
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यहां गौर करने वाली बात है कि इसरो ने कुछ दिनांे पहले भारतीय नौसेना की तकनीक को और बेहतर बनाने के लिए रुक्मिणी 29 सितंबर 2013 को लॉन्च किया गया था। रुक्मिणी भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) को मॉनिटर करने में मदद करती है। इस सैटेलाइट में लगभग 2,000 नॉटिकल माइल हैं जो नौसेना को युद्धपोतों, सबमरीन और मरीटाइम एयरक्राफ्ट की रीयल टाइम जानकारी मुहैया करवाती है। इसके अलावा इसने गहरे समुद्र में सेना की कार्यक्षमता को बढ़ाने का काम किया है।
बताया जा रहा है कि जीसैट 7ए भी उसी तरह की सैटेलाइट होगी और इससे भारत की समुद्री सीमाओं पर नजर रखी जा सकेगी। रुक्मिणी नौसेना की आसमान में आंख मानी जाती है। यह भारतीय हिंद महासागरों में चीनी युद्धपोतों पर नजर रखती है। रीसैट-2ए इस साल के आखिर तक पीएसएलवी रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह एक एडवांस रीमोट सेंसिंग सैटेलाइट होगी जो देश की सर्विलांस क्षमताओं को बढ़ाएगी।