नई दिल्लीः सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सेना को काम करने के लिए फ्री हैंड दे दिया है। सरकार का मानना है कि वहां युद्ध जैसे हालात हैं और ऐसे में सेना को काम करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि युद्ध जैसे क्षेत्र में फैसले लेने के लिए सेना स्वतंत्र है। सेना के एक अधिकारी द्वारा एक कश्मीरी युवक को जीप के बोनट पर बांधने के मामले में विवाद चल रहा है। सेना ने अपने इस अधिकारी को जांच में क्लीन चिट दी है और उसके इस कदम को सराहा भी है।
सैन्य अधिकारियों को फैसले लेने की अनुमति हो
जम्मू-कश्मीर की स्थितियों के बारे में सवालों के जवाब देते हुए जेटली ने बुधवार को कहा कि सेना से जुड़े फैसले सेना द्वारा ही लिए जाएंगे। जब युद्ध जैसे क्षेत्र में हों तो वहां फैसले सेना के अधिकारियों को ही लेने होंगे। हमें अपने अधिकारियों को निर्णय करने देने की अनुमति देनी होगी। जेटली ने तो यहां तक कहा कि सैन्य अधिकारियों को संसद के सदस्यों से सलाह नहीं लेगी होगी कि इस प्रकार की परिस्थिति में क्या करना चाहिए।
जीप के बोनट पर कश्मीरी को बांधने से गरमाया था मामला
मतदान के दौरान पत्थरबाजों के हमलों से परेशान होकर सेना के एक अधिकारी मेजर गोगोई ने एक पत्थरबाज को जीप के बोनट पर बांधा था। इससे वहां तुरंत पत्थरबाजी रुक गई थी और सेना की टुकड़ी सकुशल वहां से निकल सकी थी। सेना ने जांच में मेजर गोगोई को निर्दोष करार दिया था। यह भी खबरें आई थीं कि सेना ने मेजर गोगोई के फैसले की ताऱीफ भी की है।