नई दिल्ली । राज्यसभा के बाद आखिरकार मंगलवार को बहुप्रतिक्षित जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा में भी प्रचंड बहुमत से पास हो गया । लोकसभा में जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 से आजादी दिलाने के लिए हुई वोटिंग में जहां पक्ष को महज 366 वोट मिले वहीं विपक्ष को महज 66 वोट मिले । इस सब के बाद अब जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का कानून पास हो चुका है । अब मात्र राष्ट्रपति को इस बिल पर हस्ताक्षर करने हैं। इस सब के बाद अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख का अपना उपराज्यपाल होगा । दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में अब केंद्र सरकार के सभी फैसले लागू होंगे ।
बता दें कि राज्यसभा से पास होकर आए जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल को मंगलवार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया । इस दौरान कांग्रेस ने जहां जमकर विरोध किया , वहीं अन्य विपक्षी दल भाजपा के समर्थन में मौन रहे । हालांकि शाम को हुई वोटिंग में जहां कई दलों ने इस वोटिंग का बॉयकॉट किया , वहीं एनडीए के सहयोगी जेडीयू ने इस बिल को लेकर अपना विरोध तो जताया लेकिन वोटिंग के दौरान वह सदन से बाहर चली गई ।
सदन में बिल पर चर्चा के बाद शाम को जब वोटिंग हुई तो उसमें जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधानों को हटाने के लिए वोटिंग में पक्ष में जहां 351 वोट पड़े वहीं विपक्ष में 72 वोट पड़े । इसके बाद जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 के लिए हुई वोटिंग में पक्ष में 366 वोट तो विपक्ष में 66 वोट पड़े । इसी क्रम में जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल भी पेश किया गया लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को वापस ले लिया । उनका तर्क था कि जब राज्य से धारा 370 के प्रावधान हट गए हैं और जम्मू - कश्मीर , लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं तो वहां अब इस बिल की जरूरत ही नहीं होगी । केंद्र के आदेश अब इन राज्यों पर भी लागू होंगे ।
इस दौरान स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि 1952 के बाद से 17वीं लोकसभा का यह सत्र अब तक का सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है । इस दौरान 33 बैठकें हुईं 280 घंटों तक बैठक चली। उन्होंने कहा कि 1952 के बाद से यह सत्र ही ऐसा रहा है जिसमें व्यवधान नहीं हुआ है । मैं इस सब के लिए संसद के सभी सदस्यों का आभार प्रकट करता हूं।